
रायपुर 20 अप्रैल।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मोदी सरकार की कोयला नीति को पूरी तरह से असफल करार देते हुए आरोप लगाया हैं कि बिजली उत्पादन संयंत्रों को उनकी जरूरत का कोयला उपलब्ध करवाने में विफल केन्द्र सरकार आयातित महंगा कोयला खरीदने का राज्यों पर दवाब डाल रही हैं।
श्री बघेल ने आज यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि मोदी सरकार की कोयला नीति पूरी तरह से असफल हैं। उसने पहले कैप्टिव पावर प्लांटों एवं राज्य सरकारों को आवंटित कोल खदानों को रद्द किया फिर उसकी नीलामी करवाई।जब नीलामी में लोगो ने भाग नही लिया तो फिर नए सिरे से आवंटन किया।इस पूरी कवायद का असर कोयला उत्पादन पर पड़ा जिसकी वजह से बिजली उत्पादन संयंत्रों को कोयले की कमी से जूझना पड़ रहा हैं।
उन्होने कहा कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने तुलनात्मक रूप से आठ दिन का कोयला बिजली संयंत्रों में उपलब्ध होने की बात कहीं है जबकि कई संयंत्रों में डेढ़ दिन का ही कोयला शेष रह गया हैं।उन्होने कहा कि आवश्यकता के मुताबिक उत्पादन नही होने पर केन्द्र आयातित महंगा कोयला को 15 से 20 प्रतिशत खरीदने और उसमें घरेलू कोयले में मिलाने का दबाव डाल रहा हैं।
श्री बघेल ने कहा कि घरेलू कोयला जहां तीन से चार हजार रूपए प्रति टन हैं वहीं आयातित कोयला 15 से 20 हजार प्रति टन हैं।जाहिर हैं कि महंगा कोयला खरीदने पर उत्पादन महंगा होगा,जिससे बिजली की दरे महंगी होगी।उन्होने आरोप लगाया कि बिजली उत्पादन संयंत्रों के अलावा और जिस भी उद्योग में कोयला की जरूरत होती हैं,उन्हे आपूर्ति या बहुत कम कर दी गई है या फिर आवंटन ही नही किया जा रहा हैं,इससे उत्पादन पर काफी बुरा असर होगा।
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