रायपुर 04 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा कि वनवासियों को लघु वनोपजों के माध्यम से साल भर आजीविका के साधन देने वाली वृक्षों की प्रजातियों जैसे तेंदूपत्ता, चार-चिरौंजी, महुलाइन पत्ता, आंवला, हर्रा के वृक्षों से वनों को समृद्ध करने की जरुरत है।
डा.सिंह आज यहां छत्तीसगढ़ के अध्ययन दौरे पर आए भारतीय वन सेवा के परिवीक्षाधीन 45 अधिकारियों के प्रतिनिधि मण्डल को संबोधित कर रहे थे।ये अधिकारी तीन दिवसीय अध्ययन दौरे पर छत्तीसगढ़ आए हैं।
छत्तीसगढ़ में वानिकी और वनवासियों के साथ संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों के साथ-साथ यह प्रतिनिधि मण्डल हर्बल प्रसंस्करण केन्द्र दुगली (धमतरी), वन विज्ञान केन्द्र मुढ़ीपार (महासमुंद), मनगट्टा ईको पर्यटन केन्द्र, नया रायपुर में जंगल सफारी, बॉटनिकल गार्डन परिसर में अत्याधुनिक क्लोनल नर्सरी का अवलोकन करेंगे। इस अवसर पर वन विभाग के अपर मुख्य सचिव सी.के.खेतान और प्रधान मुख्य वन संरक्षक आर.के.सिंह भी उपस्थित थे।
डॉ.सिंह ने अधिकारियों से कहा कि यदि वनवासियों के सहयोग से प्राथमिक वन समितियांे और महिला स्वसहायता समूहों के अच्छे समूह तैयार कर लिए जाएं, तो वनों के संरक्षण का काम प्रभावी ढ़ग से किया जा सकता है। छत्तीसगढ़ इसका एक अच्छा उदाहरण है, यहां प्राथमिक वन समितियों के सदस्यों और महिला स्वसहायता समूह वनों और पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इस साल छत्तीसगढ़ में वृक्षारोपण अभियान के तहत दस करोड़ पौधे रोपने का लक्ष्य है।मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को अध्ययन करते रहने और अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य करने का सुझाव दिया।