हिंदू धर्म में खरमास का काफी अधिक महत्व है। इस पूरे में किसी भी तरह के मांगलिक और शुभ कामों को करने की मनाही होती है। खरमास को मलमास, अधिक मास जैसे नामों से जाना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, खरमास के जौरा सूर्य धीमी गति से आगे बढ़ते है जिसके कारण शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। लेकिन इस दौरान धार्मिक काम करना शुभ माना जाता है। धनु संक्रांति के साथ ही खरमास आरंभ हो जाते हैं जो मकर संक्रांति के साथ समाप्त होते हैँ। जानिए खरमास क्यों पड़ते हैं और क्यों नहीं होते हैं मांगलिक कार्य।

कब से शुरू हो रहे हैं खरमास? (Kharmas 2022)
16 दिसंबर 2022 को सूर्य धनु राशि में प्रवेश कर रहे हैं, तो खरमास आरंभ हो जाएगा और 14 जनवरी 2023 को मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करते ही खरमास समाप्त हो जाएगा।
हो जाती है सूर्य की गति धीमी
शास्त्रों के अनुसार सूर्य जब धनु राशि में प्रवेश करते है, तो उनकी गति धीमी हो जाती है। ऐसे में सूर्यदेव की गति का असर हर राशि के जातकों के जीवन में पड़ने के साथ मांगलिक कार्यों पर पड़ता है।
खरमास की पौराणिक कथा
पुराणों के अनुसार, भगवान सूर्य 7 घोड़ों के रथ में सवार होकर पूरे ब्राह्मण की परिक्रमा करते हैं। वह लगातार चलते रहते हैं। लेकिन एक बार घोड़ों को काफी थक गए थे और उन्हें काफी भूख और प्यास लगी। भगवान सूर्य ने घोड़े की दयनीय हालत देखी, तो वह द्रवित हो गए। रास्ते में ही वह घोड़ों को एक तालाब के किनारे ले गए। लेकिन उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं रहा कि घोड़ों के रुकते ही पूरे ब्रह्मांड में हाहाकार मच जाएगा।
जब घोड़े पानी पीने लगते है तो पूरा संसार ठहर सा जाता है और कई प्रकार की मुश्किलें सामने आने लगती है। ऐसे में उन्होंने देखा कि तालाब के किनारे दो खर यानी गधे खड़े हुए है। उन्होंने तुरंत ही गधों को रथ से जोड़कर खींचना शुरू कर दिया। लेकिन गधों की गति काफी कम थी। धीमी गति के कारण जैसे तैसे पूरे एक मास में एक चक्कर पूरा कर लेते गहै। इसके बाद सूर्यदेव दोबारा घोड़ों को जोड़कर पुन तेज गति से ब्रह्मांड घूमने लगते हैं। गधों के द्वारा खींचे गए रख में पूरे एक मास लेंगे। इसी कारण इसे खरमास कहा जाता है।
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