
धीरूभाई अंबानी के दूसरे पुत्र अनिल अंबानी के इस मशविरे को उनकी कुंठा कहेंगे या तजुर्बा कि भारत में टेलीकॉम-इंडस्ट्री में जिंदा रहने के लिए आपके और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की नोट छापने वाली प्रिंटिग प्रेस के बीच नोट-सप्लाई करने वाली पाइप-लाइन होना चाहिए। अनिल अंबानी का यह ऑब्जर्वेशन मंगलवार को मुंबई में उस वक्त सामने आया, जबकि वो अपनी कंपनी आर-कॉम के रिवाइवल-प्रोग्राम में कर्ज चुकाने के बारे में अपने शेयर-धारकों को संबोधित कर रहे थे। अगले तीन महिनो में याने मार्च 2018 तक अपने टावर, स्पैक्ट्रम और कैंपस को नीलाम करने के तैयार अनिल अंबानी रिलॉयंस कम्युनिकेशन के चेयरमेन हैं और 2010 तक उनकी कंपनी टेलीकॉम की दुनिया में दूसरे नम्बर की कंपनी मानी जाती थी। अनिल अंबानी को देश की विभिन्न बैंको 44,700 करोड़ का लोन चुकाना है। लोन चुकाने के लिए अनिल अंबानी अपने 43000 टावर बेचने जा रहे हें। इसके अलावा 122.4 मेगाहर्त्ज स्पैक्ट्रम और देश भर में बिछे 178000 किलोमीटर ऑप्टिकल फायबर बेच कर पैसा चुकाने का इंतजाम कर रहे हैं। अनिल अंबानी उनके पिता के नाम पर नवी मुंबई में निर्मित धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी कैंपस भी निकाल रहे हैं। सौदों के बड़े-बड़े आंकड़े हैरत में डालने वाले हैं कि दुनिया में दूसरे नम्बर पर खड़ी कंपनी खुद को बेचने पर क्यों मजबूर हुई है ?
इस सवाल के एक उत्तर या निष्कर्ष पर पहुंच पाना थोड़ा मुश्किल है।आर्थिक विशेषज्ञ और टेक्नोक्रेट इसे अलग-अलग नजरिए से जांचेगे-परखेंगे। इसके राजनीतिक, प्रशासनिक और व्यवसायिक पहलूओ पर टिकी शंकाओ की सुइयों का अंदाजे-बंया भ्रमित करता है। खुद अनिल अंबानी कहते हैं कि इसके लिए भारत-सरकार का रेगुलेटरी-फ्रेमवर्क की कार्य-प्रणाली जिम्मेदार है, जिसकी वजह से आर-कॉम और ‘सिस्टेमा श्याम टेलीकॉम’ के मर्जर की अनुमति मिलने में अनावश्यक देरी हुई। नियामक-संस्थाओं की कारगुजारियो से पता चलता है कि देश में बिजिनेस करना कितना कठिन है ? अनिल अंबानी का यह खुलासा केन्द्र सरकार के उन दावों कि प्रशासनिक क्षमताओं पर करारा तमाचा है कि देश में व्यापार-व्यासाय को सुगम और सरल बनाने के लिए अपेक्षित माहौल तैयार हो चुका है। विशेषज्ञों की राय में यह संकट अजगर की भांति टेलीकॉम के बड़े-बड़े खिलाड़ियों को निगल रहा है। टेलीकॉम बिजिनेस के फिसलन की दहशत का अंदाज इसी लग सकता है कि टाटा जैसे बड़े औद्धोगिक घराने भी दूरसंचार के अपने लंबे-चौड़े कारोबार को एयर-टेल को उपहार स्वरूप देने को तैयार हैं।टाटा जैसे बड़े और सक्षम कार्पोरेट घरानों की यह पहल दर्शाती है कि टेलीकॉम बिजिनेस किस दशा और दिशा में पंहुच चुका है ?
अनिल अंबानी इस कथन के पीछे छिपे संकेतों को समझना जरूरी है कि टेलीकॉम इंडस्ट्री पैसा पीने वाला कारोबार बन चुका है।उल्लेखनीय है कि उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी रिलॉयंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड ने फ्री-वॉइस काल और फ्री डाटा की मार्केटिंग-नीति ने लगभग सभी कंपनियो के वित्तीय ढांचे को लगभग तोड़ दिया है। जियो की मार से उबरने के लिए ही आइडिया और वोडाफोन मार्च 2018 तक आपस में विलय करन जा रहे हैं।
व्यवसायिक और प्रशासनिक मारकाट और दहशतगर्दी से अलावा राजनीतिक स्तर पर टेलीकॉम इंडस्टी के विकास के लिए गए नीतिगत फैसलों पर भी गौर करना जरूरी है। उससे आगे यह पड़ताल भी जरूरी है कि सत्ता की राजनीतिक सौदेबाजी में पक्ष-विपक्ष के आरोपों का सिलसिला कंहा जाकर रूकता है और इसके लिए कौन उत्तरदायी होगा? टेलीकॉम इंडस्ट्री की यह बदहाली लोगो के ध्यान इसलिए भी आकर्षित कर रही है कि हाल ही में सीबीआई की विशेष अदालत ने 2-जी स्पैक्ट्रम घोटाले के प्रकरण को खारिज कर दिया है। कांग्रेस के नेता पी चिंदम्बरम और आनंद शर्मा का कहना था कि 2-जी घोटालो की बात ने देश की टेलीकॉम इंडस्ट्री को लंबे समय के लिए तबाह कर दिया है। रोजगार देने वाला यह सेक्टर छंटनी का शिकार हो गया।लाइसेंस रद्द हुए और इस वजह से इस सेक्टर मे हजारो लोगो की नौकरिया चली गईं। कांग्रेस के ही कपिल सिब्बल का कहना है कि बैंको के अरबो-खरबों के एनपीए अकाउंट्स भाजपा की 2-जी स्पैक्ट्रम से जुडी राजनीति का ही सबब है।
उल्लेखनीय है कि भारत के ऑडिटर जनरल विनोद राय ने काल्पनिक स्तर पर नीलामी का अनुमान लगाते हुए 1 लाख 76 हजार करोड़ के घोटाले का यह आंकड़ा दिया था। बाद में जब मोदी-सरकार ने स्पैक्ट्रम की नीलामी की थी, काल्पनिक आय के ये आंकड़े हांसिल नही हुए थे।क्या किसी भी तरह सत्ता हांसिल करने वाली इन राजनीतिक-करतूतों का हिसाब-किताब ऱखना अब जरूरी नही हो गया है ?
सम्प्रति – लेखक श्री उमेश त्रिवेदी भोपाल एनं इन्दौर से प्रकाशित दैनिक सुबह सवेरे के प्रधान संपादक है। यह आलेख सुबह सवेरे के आज 28 दिसम्बर के अंक में प्रकाशित हुआ है।वरिष्ठ पत्रकार श्री त्रिवेदी दैनिक नई दुनिया के समूह सम्पादक भी रह चुके है।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India