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जानें एफपीओ और आईपीओ में क्या है अंतर..

एफपीओ को बाजार में लिस्टिड कंपनी की ओर से जारी किया जा सकता है। एफपीओ काफी हद तक आईपीओ की तरह ही होता है। आइए जानते हैं विस्तार से इसके बारे में बाजार में इन दिनों अडानी एटरप्राइजेज के एफपीओ को लेकर काफी चर्चा है। कंपनी की ओर से 20,000 करोड़ रुपये का एक एफपीओ लाया गया था, जिसका सब्सक्रिप्शन भरने के बाद वापस ले लिया गया है। आज हम अपने इस लेख में जानेंगे कि एफपीओ क्या होता है और कंपनियां क्यों इसे जारी करती हैं। एफपीओ (FPO) यानी फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर शेयर बाजार में लिस्टिड किसी कंपनी की ओर से पेश किया जाता है। इसके तहत कंपनी पूंजी जुटाने के लिए नए शेयर अपने मौजूदा और नए शेयरधारकों को जारी करती है।

FPO और IPO में अंतर

FPO vs IPO में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि एफपीओ को केवल शेयर बाजार में लिस्टिड कंपनियों की ओर से ही जारी किया जा सकता है, जबकि आईपीओ को कोई भी कंपनी बाजार से फंड जुटाने के लिए एकत्रित करती है। आसान भाषा में कहा जाए, तो किसी निजी कंपनी के द्वारा बाजार में जब फंड जुटाया जाता है, उसे आईपीओ कहा जाता है। वहीं, लिस्टिड पब्लिक कंपनी जब भी जुटाती है, तो उसे एफपीओ कहा जाता है।

FPO के प्रकार

एफपीओ दो प्रकार के होते हैं। पहला – मिश्रित एफपीओ और दूसार गैर-मिश्रण एफपीओ  होता है। मिश्रित एफपीओ में कंपनी की ओर से अतिरिक्त शेयर जारी जाते हैं। इससे कंपनी की ईपीएस पर प्रभाव होता है। वहीं, गैर-मिश्रण एफपीओ में निजी कंपनियों की ओर से गैर-लिस्टिड शेयरों को बेचा जाता है। इससे ईपीएस प्रभावित नहीं होता है।

FPO क्यों जारी करती कंपनी?

एफपीओ किसी लिस्टिड पब्लिक कंपनी की ओर से तभी जारी किया जाता है, जब उसे अपनी भविष्य की योजनाओं को पूरा करने के लिए पैसे की आवश्यकता होती है। कई बार अपने कर्ज को कम करने के लिए और बाजार में शेयर की लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कंपनियां इसका इस्तेमाल करती हैं। एफपीओ में कोई भी आम निवेशक किसी भी ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म पर जाकर बोली लगा सकता है।