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अधिसूचित क्षेत्रों में सहमति से ही ली जा सकेंगी विकास के लिए जमीन – पाण्डेय

रायपुर 04 जनवरी।छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता में हुए संशोधन को लेकर मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही भाजपा के भी कुछ नेताओं द्वारा सवाल उठाए जाने पर राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने  आज सफाई देते हुए स्पष्ट किया हैं कि संशोधन के बाद केवल केन्द्र सरकार अथवा राज्य शासन अथवा उनके उपक्रमों द्वारा ही सार्वजनिक निर्माण और विकास योजनाओं के लिए अधिसूचित क्षेत्रों में आपसी सहमति से निजी व्यक्ति की भूमि खरीदी जा सकेगी।

श्री पाण्डेय द्वारा इस मामले में सफाई देने के लिए आज आहूत प्रेस कान्फ्रेंस में उनके अलावा तीन आदिवासियों मंत्रियो रामसेवक पैकरा, महेश गागड़ा एवं आदिम जाति विकास मंत्री केदार कश्यप के साथ ही राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री जी.आर. राना भी उपस्थित थे। श्री पाण्डेय ने बताया कि क्रय नीति के तहत विक्रेता (किसान) अर्थात् भूमि स्वामी की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य है।विक्रेता अथवा किसान की सहमति के बिना शासन द्वारा भी जमीन नहीं खरीदी जा सकेगी।

उन्होने बताया कि विकास परियोजनाओं के लिए अधिसूचित क्षेत्रों में निजी व्यक्तियों से आपसी सहमति के आधार पर सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली जमीन किसी भी सूरत में किसी अन्य निजी व्यक्ति या निजी संस्था को नहीं दी जाएगी।शासन द्वारा जिस जमीन की खरीदी होगी, उसके लिए विक्रेता को लगभग तीन गुना मुआवजा दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि भू-अर्जन अधिनियम के तहत भूमि अर्जित करने के लिए प्रक्रियाओं को पूर्ण करने में कम से कम दो से तीन साल का समय लग जाता है, जबकि आपसी सहमति पर आधारित क्रय नीति के तहत एक माह से दो माह के भीतर ही भूमि अंतरण की प्रक्रिया पूर्ण हो जाती है।उन्होने बताया कि भू-अर्जन अधिनियम और क्रय नीति के मुआवजें में अंतर है। क्रय नीति के तहत किसान को अधिक राशि मिलेगी।

श्री पाण्डेय ने इस बारे में कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि धान का बोनस देने के बाद उसके बाद अब कोई चुनावी मुद्दा शेष नही रह गया है।वह हताशा से जूझ रही है इस कारण वह संशोधन विधेयक पर गलतबयानी कर रही है।