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राष्ट्रपति का गरीबी के अभिशाप को जड़ से समाप्त करने का आह्वान

नई दिल्ली 25 जनवरी।राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि सभ्‍य राष्‍ट्र का निर्माण, ऐसी सोच के वातावरण से होता है, जहां कोई भी अन्‍य नागरिक के सम्‍मान और व्‍यक्तिगत स्‍वतंत्रता का मजाक उड़ाए बगैर उसके दृष्टिकोण से असहमत हो सकता है।

श्री कोविंद ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्र को पहली बार संबोधित करते हुए कहा कि फिल्‍म पद्मावत सहित विभिन्‍न मुद्दों पर हाल में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की ओर संकेत करते हुए कहा कि सभ्‍य सोच वाले व्यक्ति अन्य लोगों की व्‍यक्तिगत निजता और अधिकारों का सम्‍मान करते हैं कम से कम समय में गरीबी के अभिशाप को जड़ से समाप्‍त करने का आह्वान किया।

उन्‍होंने कहा कि गरीबी उन्‍मूलन हमारा पवित्र कर्तव्‍य है और हमारा गणतंत्र इससे कोई समझौता नहीं कर सकता।उन्होने कहा कि..आज भी हमारे बहुत से देशवासी सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। वे गरीबी में किसी तरह अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। उनकी बुनियादी ज़रूरतों को पर्याप्त मात्रा में पूरा करना और विकास के अवसर निरंतर प्रदान करते रहना हमारे लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है..।

श्री कोविंद ने मेहनती किसानों के जीवन में और सुधार लाने की आवश्‍यकता पर बल देते हुए कहा कि वे एक अरब लोगों का पेट भरने के लिए जी-जान से जुटे रहते हैं। उन्‍होंने देश के विकास के लिए सामरिक विनिर्माण क्षेत्र के निरन्‍तर आधुनिकीकरण और उसको सुदृढ़ बनाने को कहा ताकि सशस्‍त्र सेनाओं, पुलिस तथा अर्धसैनिक बलों के वीर जवानों को वे उपकरण मिल सकें जिनकी उन्‍हें आवश्यकता है।

बालिका शिक्षा का उल्‍लेख करते हुए श्री कोविंद ने कहा कि एक सुखी और समान अवसर वाला राष्‍ट्र, ऐसे परिवारों से बनता है, जहां बालिकाओं को बालकों जैसे ही अधिकार, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य की सुविधाएं प्राप्‍त होती हैं।राष्‍ट्रपति ने भारतीय शिक्षा प्रणाली को 21वीं सदी की डिजिटल अर्थव्‍यवस्‍था, जीनोमिक्‍स, रोबोटिक्‍स और ऑटोमेशन की वास्‍तविकताओं के अनुसार प्रासंगिक बनाने के लिए उसमें सुधार, उन्‍नयन और विस्‍तार पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि देश ने साक्ष्‍ारता के प्रसार में काफी प्रगति की है और अब देश को शिक्षा और ज्ञान की सीमाओं का विस्‍तार करना होगा।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारत की राष्‍ट्र निर्माण परियोजना का सर्वोच्‍च चरण एक ऐसा बेहतर विश्‍व बनाने का है जो प्रेम और भाईचारे से भरा हो और जिसका अपने साथ और प्रकृति के साथ भी संबंध शांतिपूर्ण हो। श्री कोविंद ने कहा कि जरूरतमंदों की सहायता और पड़ोसियों की क्षमताओं का निर्माण हमारे समाज की विशेषता है।