नई दिल्ली 01 मार्च।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि हिंसा और आतंकवाद जैसी चुनौतियों का सामना विरासत और आदर्शों, धर्म के संदेशों तथा सिद्धांतों के माध्यम से ही किया जा सकता है।
श्री मोदी ने आज इस्लामिक विरासत -समझ और उदारवाद को बढ़ावा देने के विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते कहा कि कोई भी धर्म लोगों को असहिष्णु और हिंसा की शिक्षा नहीं देता और बेकसूर लोगों पर बर्बर हमले करने वाले कभी भी किसी धर्म से जुड़े नहीं हो सकते।
उऩ्होने कहा कि..इंसानियत के खिलाफ दरिंदगी का हमला करने वाले शायद ये नहीं समझते कि नुकसान उस मजहब का होता है, जिसके लिए खड़े होने का वो दावा करते है। आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ मुहिम किसी पंथ के खिलाफ नहीं है, ये उस मानसिकता के खिलाफ है, जो हमारे युवाओं को गुमराह करके मासूमों पर जुल्म करने के लिए अमाद है..।
श्री मोदी ने कहा कि धर्म की आत्मा कभी भी अमानवीय नहीं हो सकती क्योंकि हर परंपरा और संप्रदाय का मतलब मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि युवाओं को इस्लाम के मानवीय मूल्यों से जुड़ना चाहिए और प्रगति के लिए आधुनिक विज्ञान का उपयोग करना चाहिए।
उन्होने कहा कि हर पंथ, हर सम्प्रदाय, हर परम्परा मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए ही है और इसलिए आज सबसे ज्यादा जरूरत है कि हमारे युवा एक तरफ मानवीय इस्लाम से जुड़े हों और दूसरी तरफ आधुनिक विज्ञान और तकनीक के साधनों का इस्तेमाल भी कर सकें।श्री मोदी ने कहा कि सभी धर्मों, विविधताओं और संस्कृतियों को विकसित करना भारत की पहचान रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र हमारी बहुलता का उत्सव है।
जार्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया में शांति बनाये रखना जार्डन और भारत की साझा जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि युवाओं के भविष्य को उज्जवल और सुरक्षित बनाने की जरूरत है। उन्होंने घृणा और हिंसा के खिलाफ मुहिम छेड़ने पर जोर दिया है।
उन्होने कहा कि आज आतंक के खिलाफ वैश्विक जंग विभिन्न धर्मों और लोगों के खिलाफ नहीं है। यह चरमपंथियों के खिलाफ मानवता और विश्वास की जंग है, जो घ़ृणा और आतंक फैलाने में विश्वास रखते हैं। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि युवा हमारे धर्मों के वास्तविक मूल्यों को समझें और हमें उन्हें सिखाना होगा कि जो सभ्यता हमें मिली है, उसका सम्मान करें।