नई दिल्ली 11 मार्च।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विभिन्न ऊर्जा स्रोतों में सौर ऊर्जा का अनुपात बढ़ाने के लिए रियायती दर पर और भरोसेमंद वित्तीय व्यवस्था का आह्वान किया है।
श्री मोदी ने आज यहां अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन के स्थापना सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि..हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि बेहतर और सस्ती सोलर टेक्नोलॉजी सबके लिए सुगम और सुलभ हो। हमें इनोवेशन को प्रोत्साहित करना होगा, ताकि विभिन्न आवश्यकताओं के लिए सौर समाधान प्रदान हो सके। हमें सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए कंसेसनल फाइनेंशिंग और कम जोखिम का वित्त मुहैया करना होगा..।
उन्होने दस सूत्री सौर ऊर्जा कार्यक्रम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि सभी देशों को किफायती सौर ऊर्जा उपलब्ध होनी चाहिए। उन्होंने इसके मानकीकरण और नियमन पर भी बल दिया।उन्होने कहा कि भारत ने 2022 तक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से 175 गीगावॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत में हमने दुनिया का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम शुरू किया है।..हम ट्वेंटी-ट्वेंटी टू तक रिन्यूवल से हैंड्रेड सेवेंटी फाइव गीगा वाट बिजली उत्पन्न करेंगे, जिसमें से हैंड्रेड गीगा वाट बिजली सौर ऊर्जा से होगी। हमने इसमें से ट्वेंटी गीगा वाट इंस्टॉल सोलर पावर का लक्ष्य ऑलरेडी हासिल कर लिया..।सौर ऊर्जा के प्रति भारत की बचनबद्धता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत सौर गठबंधन के सदस्य देशों को प्रशिक्षण उपलब्ध करायेगा तथा इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में सहयोग के लिए मिशन के रूप में कार्य करेगा।
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने इस अवसर पर कहा कि विश्व में सौर ऊर्जा की उपयोगिता का बड़ा महत्व है लेकिन इस क्षेत्र में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।स्वागत भाषण में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में भारत की बचनबद्धता बहु-राष्ट्रीय सहयोग का न केवल प्रमाण है बल्कि बेहतर, टिकाऊ और प्रदूषण मुक्त भविष्य के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सचिवालय की स्थापना में दो करोड़ 70 लाख डॉलर का योगदान दिया है और सौर गठबंधन कोष की भी स्थापना की।इससे पहले 61 देशों ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन प्रारूप समझौते पर हस्ताक्षर किए और 32 देशों ने इसकी पुष्टि की।