
नई दिल्ली 10 नवम्बर।केन्द्र सरकार ने प्रसारण सेवा विनियमन विधेयक 2023 का मसौदा जारी कर दिया है और इस पर राय मांगी है।
मसौदा विधेयक में प्रसारण सेवाओं को विनियमित करने संबंधी प्रावधान हैं। यह मौजूदा केबल टेलिविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995 तथा देश में प्रसारण क्षेत्र में लागू अन्य नीतिगत दिशा-निर्देशों का स्थान लेगा। इसके अंतर्गत विनियमन प्रक्रियाओं को मजबूती देने, ऑवर द टॉप-ओटीटी सामग्री तथा डिजिटल खबरों को अपने दायरे में लाने और उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए समसामयिक परिभाषाएं और नियम लागू करने का प्रावधान है।
सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने आज यहां इसकी जानकारी देते हुए कहा कि यह विधेयक सामग्री आकलन समितियों की शुरूआत के साथ स्व-विनियमन को बढ़ावा देगा। साथ ही मौजूदा अंतर-विभागीय समिति को और अधिक व्यापक प्रसारण परामर्श परिषद के रूप में स्थापित करेगा। यह ऑपरेटरों तथा प्रसारणकर्ताओं के लिए परामर्श, चेतावनी और जुर्माने सहित वैधानिक दंड को भी लागू करेगा। कारावास या जुर्माने का प्रावधान केवल गंभीर अपराधों के लिए ही होगा।
इस विधेयक के अंतर्गत मौद्रिक दंड या जुर्माना, कंपनी के वित्तीय क्षमता को देखते हुए लगाये जाने का प्रावधान है। विभिन्न प्रसारण नेटवर्क ऑपरेटरों के लिए अलग-अलग कार्यक्रम और विज्ञापन संहिता का भी प्रावधान है। साथ ही दिव्यांगजनों के लिए सुलभता उपाय भी शामिल रहेंगे।
श्री चंद्रा ने बताया कि प्रसारण क्षेत्र में फिलहाल कई अधिनियम लागू हैं। इन सभी अधिनियमों को अब एक साथ लाया जायेगा। वर्तमान में केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम, 1995 तीन दशकों से प्रभावी है।
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