हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना उसका निजी निर्णय है जिसमें किसी को दखल का अधिकार नहीं है। दोबारा विवाह करने के बाद भी वह अपने पहले पति की मौत के लिए मिलने वाले मुआवजे से वंचित नहीं की जा सकती है।
दूसरे विवाह के बाद भी पहले पति की मौत पर पत्नी को मुआवजे का हक है। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने यह अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने दूसरे विवाह को महिला का निजी निर्यण बताया है। हाईकोर्ट ने मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल रेवाड़ी द्वारा मृतक की विधवा को पुनर्विवाह के बाद भी मुआवजे के लिए हकदार मानने को चुनौती देने वाली बीमा कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना पूरी तरह से पत्नी का निजी निर्णय है जिसमें किसी को दखल का अधिकार नहीं है।
पत्नी दूसरा विवाह करने के बाद भी पहले पति की मृत्यु के चलते मिलने वाले मुआवजे की हकदार है। याचिका दाखिल करते हुए बीमा कंपनी व मृतक के अभिभावकों ने मोटर वाहन क्लेम ट्रिब्यूनल के आदेश में संशोधन की मांग की थी। याचिका में दलील दी गई थी कि स्कूल बस और मोटर साइकिल की टक्कर में जोगिंदर सिंह की 3 मार्च 2010 को मौत हो गई थी। इस मामले में एमएसीटी रेवाड़ी ने 18 लाख रुपये का मुआवजा तय किया और इसका 40 प्रतिशत मृतक की विधवा को देने का आदेश जारी किया।
हाईकोर्ट में दलील दी गई कि दोबारा विवाह करने के बाद मृतक की पत्नी उस पर निर्भर नहीं थी और ऐसे में उसे मुआवजा नहीं दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि मृतक की विधवा ने 2013 में दोबारा विवाह किया था। पहले पति के जीवित रहते वह उसके साथ रहती थी और पूरी तरह से उस पर निर्भर थी।
पति की मौत के बाद दोबारा विवाह करना उसका निजी निर्णय है जिसमें किसी को दखल का अधिकार नहीं है। दोबारा विवाह करने के बाद भी वह अपने पहले पति की मौत के लिए मिलने वाले मुआवजे से वंचित नहीं की जा सकती है। ऐसे में मृतक के परिजनों और बीमा कंपनी की इस मांग को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India