धोखाधड़ी, जालसाजी और भ्रष्टाचार के मामले में 24 सितंबर को दर्ज मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल को 15 फरवरी तक अंतरिम जमानत दे दी है। इसके साथ ही उनकी अग्रिम जमानत की मांग पर पंजाब सरकार व अन्य को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
विजिलेंस ब्यूरो ने 24 सितंबर को बठिंडा के प्लॉट आवंटन से जुड़े मामले में मनप्रीत बादल के खिलाफ केस दर्ज किया था। विजिलेंस उनकी तलाश में छह राज्यों में दबिश दे चुकी है। चंडीगढ़ में उनके घर पर भी छापा मारा था, लेकिन वहां पर भी उनका कोई सुराग नहीं मिला। विजिलेंस ब्यूरो ने पूर्व विधायक सरूप चंद सिंगला की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की थी, जिसमें बठिंडा में एक प्रमुख स्थान पर संपत्ति की खरीद में अनियमितता का आरोप लगाया गया था।
मनप्रीत ने अपनी याचिका में दलील दी है कि एफआईआर उस श्रृंखला की कड़ी है जिसमें मौजूदा सरकार उन लोगों को जेल में डालने की कोशिश कर रही है जो किसी न किसी तरह पिछली सरकार से जुड़े रहे हैं। वर्तमान सरकार ने एजेंडे में शीर्ष पर अपने विरोधियों के प्रति बदले की भावना, उत्पीड़न व सार्वजनिक अपमान करने को रखा है।
याची के खिलाफ एफआईआर सत्ता का एक दुर्भावनापूर्ण प्रयोग है और यह मुख्यमंत्री के आदेश पर की गई है। याची ने कहा कि राज्य एजेंसियों को स्वतंत्र रूप से काम करने की अनुमति देने के स्थान पर व्यक्तिगत उद्देश्य को पूरा करवाने के लिए उनसे काम करवाया जा रहा है। याची ने खुद को निर्दोष व बदले की राजनीतिक का शिकार बताया है।
मनप्रीत के खिलाफ एफआईआर में आरोप है कि उन्होंने अपने पद और शक्ति का इस्तेमाल करके बठिंडा विकास प्राधिकरण (बीडीए) को प्रभावित किया है। प्लॉटों को वर्ष 2021 में कम दर पर नीलामी के लिए रखा और साइट प्लान अपलोड नहीं किया। ऐसा करके जनता को नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से रोक दिया। याचिकाकर्ता के विश्वासपात्र लोग जिन्हें साइट के विवरण की विशेष जानकारी थी उन्होंने नीलामी में भाग लिया और उक्त भूखंडों को लगभग आरक्षित मूल्य पर प्राप्त कर लिया। इससे राज्य के खजाने को नुकसान हुआ।