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बिना सत्यापन पंजीकरण, फर्जी प्रमाणपत्र किए जारी; फार्मेसी काउंसिल के दो पूर्व रजिस्ट्रार गिरफ्तार…

जांच में पता चला है रजिस्ट्रार के तौर पर डॉ. तेजबीर सिंह और प्रवीन कुमार भारद्वाज की मिलीभगत के कारण बहुत से नकली फार्मेसी सर्टिफिकेट जारी किए थे। पंजाब के 105 फार्मेसी कॉलेजों में डी-फार्मेसी की दाखिला प्रक्रिया के दौरान आरोपियों ने तय प्रोटोकोल और अनिवार्य शैक्षिक योग्यताओं के नियमों का पालन नहीं किया।

पंजाब विजिलेंस ब्यूरो ने पंजाब स्टेट फार्मेसी काउंसिल (पीएसपीसी) में बड़े घोटाले का पर्दाफाश कर दो पूर्व रजिस्ट्रारों और एक सुपरिटेंडेंट को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में प्रवीन कुमार भारद्वाज, डॉ. तेजबीर सिंह (दोनों पूर्व रजिस्ट्रार) और अशोक कुमार लेखाकार (मौजूदा सुपरिटेंडेंट) शामिल हैं। आरोप है कि इन्होंने न केवल अनिवार्य सत्यापन प्रक्रिया को अनदेखा कर पंजीकरण किया बल्कि फर्जी सर्टिफिकेट भी जारी किए। निजी कॉलेजों से इन्होंने मोटी रकम लेकर सारा खेल किया। वहीं, संस्थान के कई अधिकारी व निजी कॉलेजों के प्रबंधक विजिलेंस के रडार पर आ गए हैं।

विजिलेंस ने 2019 में दर्ज शिकायत नंबर चार से आरोपियों की भूमिका की जांच शुरू की थी। जांच में 2005 से 2022 के बीच 143 विद्यार्थियों के फर्जी सर्टिफिकेटों का पर्दाफाश हुआ है। प्रवीन कुमार भारद्वाज 2001 से 2009 और दिसंबर 2013 से मार्च 2015 तक पीएसपीसी के रजिस्ट्रार के पद रहा, जबकि डॉ. तेजबीर सिंह 23 अगस्त 2013 से 24 दिसंबर 2013 तक इस पद पर थे। लेखाकार अशोक कुमार भी इस घोटाले में शामिल था।

जांच में पता चला है रजिस्ट्रार के तौर पर डॉ. तेजबीर सिंह और प्रवीन कुमार भारद्वाज की मिलीभगत के कारण बहुत से नकली फार्मेसी सर्टिफिकेट जारी किए थे। पंजाब के 105 फार्मेसी कॉलेजों में डी-फार्मेसी की दाखिला प्रक्रिया के दौरान आरोपियों ने तय प्रोटोकोल और अनिवार्य शैक्षिक योग्यताओं के नियमों का पालन नहीं किया। आरोपियों पर आईपीसी की धारा 420, 465, 466, 468, 471, 120-बी के तहत विजिलेंस ब्यूरो के थाना आर्थिक अपराध शाखा लुधियाना में मुकदमा दर्ज किया गया है।

रिश्वत लेकर किया खेल, योग्यता को किया दरकिनार
पंजाब राज्य तकनीकी शिक्षा बोर्ड राज्य के सरकारी कॉलेजों में डी-फार्मेसी कोर्स के दाखिलों की ऑनलाइन काउंसलिंग करवाता है। काउंसलिंग के दौरान निजी संस्थाओं में खाली सीटें रह जाती हैं। इन सीटों को भरने के लिए निजी कॉलेजों ने कथित तौर पर उक्त रजिस्ट्रारों और पीएसपीसी के कर्मचारियों से मिलीभगत कर अन्य राज्यों के विद्यार्थियों को अनिवार्य माइग्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त किए बिना बड़ी रकम लेकर दाखिला दिया। इसके अलावा, प्राइवेट 12वीं करने वाले कई छात्रों को डी-फार्मेसी कोर्स में दाखिला दिया गया, जबकि इसके लिए 12वीं रेगुलर तौर पर और साइंस प्रैक्टिकल के साथ पास की होनी चाहिए।

इस तरह की खामियां सामने आईं
पंजाब स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अधिकारियों और कर्मचारियों ने रिश्वत के बदले निजी फार्मेसी कॉलेजों के साथ मिलीभगत करके बिना अनिवार्य माइग्रेशन सर्टिफिकेट और 12वीं सर्टिफिकेटों के सत्यापन किए बिना दाखिलों की इजाजत दी।

काउंसिल ऑफ बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (सीओबीएसई) द्वारा मान्यता प्राप्त शिक्षा बोर्डों द्वारा जारी सर्टिफिकेटों की मंजूरी और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के संबंध में अनियमितताएं सामने आई हैं। पीएसपीसी के अधिकारियों और कर्मचारियों ने निजी कॉलेजों के प्रिंसिपलों-प्रबंधकों की मिलीभगत के साथ इन उम्मीदवारों की रजिस्ट्रेशन करवाकर सर्टिफिकेट जारी करवाए और ऐसे नकली सर्टिफिकेट के आधार पर उनको अलग-अलग विभागों में नौकरी मिलीं या मेडिकल की दुकानें स्थापित करने में मदद हुई। कुल 3078 सत्यापनों में से पीएसपीसी ने पहचाने गए फर्जी दस्तावेजों के बारे में कोई जानकारी दिए बिना केवल 453 फार्मासिस्टों के बारे में टिप्पणियां दी हैं।

हिमाचल स्टेट फार्मेसी काउंसिल के विद्यार्थियों के सर्टिफिकेट किए साइन
प्रवीन कुमार भारद्वाज को 31 मार्च 2011 को फर्जी दाखिलों, नकली सर्टिफिकेटों, रिकॉर्ड में हेराफेरी और डिस्पैच रजिस्टर में गलतियों के आरोप में निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, बाद में उसको 24 दिसंबर 2013 को रजिस्ट्रार के तौर पर दोबारा नियुक्त कर दिया था। 25 मार्च 2015 को उसकी सेवाएं खत्म कर दी गईं। डायरेक्टर, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान (डीआरएमई), और अमृतसर, फरीदकोट और पटियाला के मेडिकल कॉलेजों द्वारा किए गए सत्यापन के दौरान दाखिलों और पीएसपीसी की रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं में काफी अनियमितताओं का पता लगा।

अमृतसर और फरीदकोट के कॉलेजों की रिपोर्टों ने पीएसपीसी में दाखिलों और रजिस्ट्रेशन में हेराफेरी का खुलासा किया है। इसके अलावा यह पता लगा कि प्रवीन कुमार भारद्वाज ने समकालीन रजिस्ट्रार का पद न होने के बावजूद कथित तौर पर हिमाचल स्टेट फार्मेसी काउंसिल के विद्यार्थियों के लिए दो फार्मेसी सर्टीफिकेट्स पर साइन किए थे।