केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालय ने आज स्वच्छ भारत मिशन के तहत चल रहे स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 के नतीजे घोषित कर दिए जिस दौरान पंजाब 7वें स्थान पर है जबकि जालंधर शहर देशव्यापी स्वच्छता रैंकिंग में 239वें स्थान पर लुढ़क गया है। गौरतलब है कि पिछली बार जालंधर का रैंक कुछ संभलकर 154 पर पहुंच गया था परंतु इस बार रैंकिंग में बहुत ज्यादा गिरावट आई है। रैंकिंग संबंधी आज आए नतीजे जालंधर निगम के अधिकारियों और शहर पर राज कर रहे नेताओं के लिए शर्मनाक हैं क्योंकि शहर के साफ सफाई संबंधी हालात काफी खराब स्थिति में पहुंच गए हैं। जालंधर निगम की बात करें तो इस शहर में स्मार्ट सिटी और स्वच्छ भारत मिशन तहत करोड़ों नहीं बल्कि अरबों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, इसके बावजूद शहर की हालत आज यह है। केंद्र से आए पैसों को खुर्द बुर्द करने का ही परिणाम है कि आज जालंधर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लोगों का स्वागत करते हैं।
लुधियाना, अमृतसर से भी पीछे रह गया जालंधर, पंजाब में 13वें स्थान पर पहुंचा
साफ़ सफाई के मामले में पटियाला, मोहाली, बठिंडा, बरनाला, पठानकोट, अबोहर, होशियारपुर जैसे छोटे शहर भी जालंधर से आगे रहे। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एक बार शहर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा था कि जालंधर पंजाब का सबसे सुंदर तथा व्यवस्थित शहर है और उनकी इच्छा है कि वह जालंधर में ही रहें। अब शायद इस मामले में जालंधर को नजर लग गई प्रतीत होती है क्योंकि अब जालंधर को पंजाब के सबसे गंदे शहर के रूप में जाना जाने लगा है। साफ सफाई के मामले में जालंधर शहर अब लुधियाना और अमृतसर से भी पिछड़ गया है। इस बार केंद्र सरकार द्वारा दी गई स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग में पूरे पंजाब के शहरों की स्थिति पर नजर दौड़ाई जाए तो साफ है कि जालंधर शहर की हालत आज पंजाब के पटियाला, मोहाली, बठिंडा, बरनाला, पठानकोट, अबोहर, होशियारपुर जैसे छोटे शहरों से भी खराब है।
सिर्फ कागजी तौर पर ही निगम की कुछ साख बचती है
निगम की बात करें तो कागजी रूप से यह काफी मजबूत माना जाता है जिस कारण इसे थोड़ी बहुत रैंकिंग मिल जाती है वर्ना जालंधर देश के सबसे गंदे शहरों की श्रेणी में भी आ सकता है। कागजों में जालंधर 100 प्रतिशत शौच मुक्त शहर हो चुका है। कुछ अभियान चलाकर भी निगम कुछ अंक अर्जित कर लेता है वरना वास्तविकता यह है कि शहर के डम्प स्थान सारा सारा दिन कूड़े से भरे रहते हैं। शहर में अवैध रूप से कूड़े के कई डंप विकसित हो चुके हैं जो धीरे-धीरे पक्के डंप का रूप धारण कर रहे हैं। nआज आए परिणामों में जालंधर के घर घर से निकले कूड़े की सैग्रीगेशन (यानी गीले सूखे कूड़े को अलग अलग करने की प्रक्रिया) 60 प्रतिशत आंकी गई है जबकि हालात यह हैं कि यह आंकड़ा 6 प्रतिशत भी नहीं है।
कूड़े की मैनेजमैंट की ओर किसी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया
अकाली-भाजपा के 10 साल के बाद कांग्रेस पार्टी 5 साल पंजाब और जालंधर निगम की सत्ता पर काबिज रही। आज आम आदमी पार्टी को आए भी दो साल होने को हैं परंतु इस कार्यकाल के दौरान हर राजनेता, हर अफसर ने साफ-सफाई के मामले में बिना विज़न के ही काम किया और कूड़े की मैनेजमैंट व डिस्पोज़ल की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इन सालों दौरान शहर की तमाम सड़कों पर कूड़ा खुले में पड़ा रहा। कई कई दिन कूड़े की लिफ्टिंग नहीं हुई। आज भी प्लाजा चौक डम्प, चौगिट्टी, रेडियो कालोनी, फिश मार्कीट डंप, फोकल प्वाइंट, खालसा स्कूल, प्रताप बाग डंप, टी.वी. सैंटर डम्प का इतना बुरा हाल है कि वहां निकट से गुजरना तक मुश्किल है परंतु अफसरों-नेताओं को इसकी कोई फिक्र नहीं है।
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