देश-दुनिया के मेहमानों को आमंत्रित करने में जुटे विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार कहते हैं कि कुछ लोगों को व्यक्तिगत मिलकर तो कुछ को कूरियर समेत अन्य माध्यमों से समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है।
श्रीराममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह की तैयारियां अंतिम चरण में हैं। देश-दुनिया के मेहमानों को आमंत्रित करने में जुटे विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार कहते हैं कि कुछ लोगों को व्यक्तिगत मिलकर तो कुछ को कूरियर समेत अन्य माध्यमों से समारोह के लिए आमंत्रित किया गया है। हमने तो सबको बुलाया है। जो आए उसका स्वागत है और जो न आना चाहे यह उसकी इच्छा। आलोक कुमार ने अमर उजाला से बातचीत में कई मुद्दों पर खुलकर जवाब दिया…
लंबे संघर्ष के बाद राममंदिर अब पूर्णता की ओर है। नए मंदिर में रामलला विराजमान होने जा रहे हैं। इस यात्रा को किस रूप में देखते हैं?
हम लोग इस लड़ाई के एक माध्यम हैं। इस उपलब्धि का पूरा श्रेय रामलला को है। उनकी कृपा थी कि हम लड़ पाए। सरकारों के दमन और हिंसा का मुकाबला कर पाए। उनकी कृपा थी कि यह मामला न्यायालय में आनंद से बढ़ता रहा और अब राममंदिर बन गया है। अगर किसी को इसका धन्यवाद करना हो तो रामलला को करना चाहिए।
समारोह की तैयारियां किस स्तर पर पहुंची हैं?
मैं कहूंगा की पूरी हो गईं..और यह भी कहूंगा कि शादी-विवाह व इस तरह के बड़े आयोजनो की तैयारी आखिर तक चलती रहती है। अयोध्या दुल्हन की तरह सज गई है। ऐसी सजी है कि जैसे त्रेता युग में रामजी के अयोध्या लौटने के समय सजी थी। मंदिर तैयार हुआ। सड़कें चौड़ी हुईं। उनके दोनों ओर रामजी का स्मरण कराने वाले उनके जीवन की घटनाओं पर म्यूरल लग गए। रेलवे स्टेशन नया जैसा हो गया। हवाईअड्डा मंदिर जैसा बन गया। सारी प्रजा यानी वहां के रहने वाले लोगों ने अपनी दीवारें-शटर सब सुंदर कर दिए हैं। अब इंतजार कर रहे हैं 22 जनवरी का। देशभर से 4500 संत आ रहे हैं। 150 से अधिक मत-पथ-संप्रदायों के लोग आ रहे हैं। अनुसूचित समाज के भी संत आ रहे हैं। सिख-जैन-बौद्ध धर्म-परंपराओं के लोग भी आ रहे हैं। देश के प्रत्येक जिले से कोई न कोई आए, ऐसा प्रयास है। सारे भारत की आध्यात्मिक शक्ति यहां इकट्ठा दिखेगी, जो बाकी के 2500 लोग हैं, उनमें देश के शीर्षस्थ, वरिष्ठ लोग शामिल हैं। केवल अयोध्या ही नहीं, पूरे विश्व में पांच लाख से अधिक मंदिरों में हिंदू समाज इकट्ठा होकर इसे देखेगा। यह एक वैश्विक कार्यक्रम है। 22 जनवरी को दोपहर 12:20 बजे का बेसब्री से सभी को इंतजार है, जब अभिजीत मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम पूरा किया जाएगा।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के आमंत्रण को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति है। सपा के बयान से लगता है कि मिला नहीं है और आपके बयान से लगता है कि दिया जा चुका है।
वह हमारे आमंत्रण की सूची में हैं। उन्हें निमंत्रण मिला है।
तो क्या उन्होंने आने से मना कर दिया है?
वह जानें उनकी माया जाने। पहले कहते थे कि बुलाएंगे तो जाऊंगा। फिर कह रहे थे कि रामजी बुलाएंगे तो जाऊंगा। फिर कहने लगे कि जिनको हम जानते नहीं, उनके बुलाने से कैसे जाऊं? उन्हें ही तय करना है कि क्या करेंगे।
अखिलेश को आमंत्रण देने कौन गया था?
उन्हें कूरियर से भेजा था।
आमंत्रण तो मायावती जी को भी गया होगा?
मायावती जी को गया है।
कांग्रेस ने आमंत्रण को अस्वीकार किया?
जो आए उनका स्वागत है। जो न आए उनकी इच्छा है। हमने तो सबको बुलाया है। पीएम को बुलाया तो विपक्ष के नेता को भी बुलाया। भाजपा के अध्यक्ष को बुलाया तो अन्य पार्टियों के अध्यक्षों को भी बुलाया है। वे नहीं आना चाहते तो हम क्या कर सकते हैं?
क्या राष्ट्रपति जी भी आएंगी?
हमारे सूत्र कहते हैं कि राष्ट्रपति जी अपनी सुविधा के अनुसार आएंगी। हमने उपराष्ट्रपति जी को आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा है कि मैं आऊंगा, लेकिन कब आऊंगा, समय थोड़ा तय करके बताऊंगा।
इसका मतलब है कि जरूरी नहीं है कि वे 22 को आएं?
हां जब समय बैठेगा तब वे आएंगे। शायद 22 को नहीं आ पाएंगे।
विदेश में इस समारोह की तैयारी किस तरह से है?
पूरे विश्व में यह कार्यक्रम मनाया जाएगा। 55 देशों में यह कार्यक्रम मंदिरों में मनाया जाएगा। इन्हीं देशों के 100 लोगों को आमंत्रित भी किया है।
तीन मूर्तियां बनवाई गई हैं। एक गर्भगृह में स्थापित हो जाएगी। बाकी दो मूर्तियों का क्या होगा?
थोड़ा देखना पड़ेगा। सम्मान के साथ उपयोग करेंगे…कहां क्या करना है यह बाद में तय करेंगे।
इस कार्यक्रम से लोगों को किस तरह जोड़ा जा रहा है?
देश को 44 हिस्सों में बांटा गया है। प्रत्येक हिस्से को 2000-2500 लक्ष्य दिया है। जो लोग राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे, ऐसे लोगों को अयोध्या लाएंगे। दर्शन कराएंगे। वे हमारे अतिथि होंगे। 26 जनवरी से 22 फरवरी तक एक लाख लोगों को दर्शन कराएंगे।
कुछ शंकराचार्यों की ओर से समारोह को लेकर कुछ बातें चर्चा में हैं। क्या सच्चाई है?
तीन शंकराचार्यों ने मंदिर बनने का स्वागत किया है। इनमें निश्चलानंद जी भी शामिल हैं। लेकिन, उस दिन नहीं आ पा रहे हैं। शंकराचार्यों की जिस तरह की मर्यादा रहती है, वह जरा कठिन होती है। उन्होंने कहा है कि अपनी सुविधा के अनुसार दर्शन करने आऊंगा।
चारों शंकराचार्यों में से उस दिन कौन आएंगे?
नहीं, उस दिन कोई नहीं पहुंच पा रहे हैं।
क्या सभी शंकराचार्यों को आमंत्रित किया गया है?
नहीं, तीन शंकराचार्यों को आमंत्रित किया गया है। ज्योतिष पीठ का मामला कोर्ट में है। इसलिए ज्योतिष पीठ को आमंत्रण नहीं भेजा गया। हम लोगों का मानना है कि ज्योतिष पीठ पर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का नैतिक आधार बनता है, इसलिए उन्हें भेजा गया है।
मंदिर निर्माण के लिए कितना सहयोग प्राप्त हुआ है? कितने खर्च का अनुमान है?
मंदिर का निर्माण लोगों से प्राप्त सहयोग से ही हो रहा है। सरकार से कोई मदद नहीं ली गई है। 42 दिन सहयोग लेने का अभियान चलाया गया। उसमें 3300 करोड़ रुपये मिले थे। इसके अलावा राशि के बारे में ट्रस्ट बता पाएगा। पूरे मंदिर निर्माण में कितना खर्च आएगा, अभी बता पाना कठिन है, क्योंकि चीजें जुड़ती भी जा रही हैं।
मंदिर निर्माण ट्रस्ट करा रहा है। आमंत्रण ट्रस्ट दे रहा है। इस पूरे आयोजन में विहिप की क्या भूमिका है?
सहायता करने की। यह आयोजन श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का है। लेकिन 10 करोड़ परिवारों तक निमंत्रण जाए, इसके लिए उनके पास मशीनरी नहीं है। मैंने कहा कि हम आपका नाम लेकर जाएंगे। व्यवस्था में सहयोग के लिए कुछ कार्यकर्ता चाहिए तो हम देंगे। 22 फरवरी तक लोगों के आने की व्यवस्था में सहयोग करेंगे। इस प्राण प्रतिष्ठा से विहिप का काम पूरा हो जाएगा। विहिप का काम मंदिर चलाना नहीं है। हम चलाएंगे भी नहीं। ट्रस्ट चलाएगा। हम हिंदू समाज की सेवा और संगठन के लिए बाकी काम करेंगे।
राममंदिर निर्माण का लक्ष्य पूरा हो रहा है। अब काशी-मथुरा को लेकर क्या योजना है?
दोनों जगह के कोर्ट में मुकदमे चल रहे हैं। हमको अपने जीतने की पूरी संभावना है और अदालत के रास्ते से हम दोनों स्थानों को प्राप्त कर लेंगे। साथ ही दोनों जगह भव्य मंदिर बनाएंगे।