भिवानी के मुंढाल के मुख्तयार नाई ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को याद करते हुए एक किस्सा सुनाया। मुख्तयार ने बताया कि आपातकाल के दौरान कर्पूरी ठाकुर हरियाणा के दिग्गज नेता चौधरी देवीलाल के साथ उनके घर में रात को ठहरे थे। इस बात का मुख्तयार को दो दिन बाद पता चला था।
आपातकाल के दौर में हरियाणा के दिग्गज नेता चौ. देवीलाल के साथ सामाजिक न्याय के पुरोधा बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर मुंढाल में मुख्तयार नाई के घर रात में ठहरे थे। उनके साथ मनीराम बागड़ी भी थे। तीनों दिग्गज नेताओं ने उनके घर भोजन किया और रात्रि विश्राम के बाद सुबह दस बजे वहां से रवाना हुए थे।
मुख्तयार के परिजनों ने दिग्गज नेताओं के कपड़े भी रात को ही धो दिए थे। उनकी सादगी ऐसी थी कि कई घंटे तक साथ रहने के बाद भी मुख्तयार को यह पता नहीं चल सका था कि चौधरी देवीलाल के साथ आया तीसरा व्यक्ति कौन था। उनके जाने के दो दिन बाद मुख्तयार को मनीराम बागड़ी ने बताया कि चौधरी देवीलाल और मेरे साथ आपके घर रात को ठहरा तीसरा शख्स बिहार का मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर था।
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा के बाद आपातकाल के दौर का संस्मरण सुनाते हुए 78 वर्षीय मुख्तयार नाई बताते हैं कि उस समय मुंढाल के बस स्टैंड पर मेरी चाय की दुकान होती थी। एक बार सफेद रंग की एंबेसडर गाड़ी चाय के खोखे के सामने आकर रुकी। अंदर से धोती कुर्ता पहने चौधरी देवीलाल निकले। पूछा- किसका छौरा सै, मैंने झट से जवाब दिया नाईयां का। इस पर देवीलाल ने कहा कि दाढ़ी कौनी बणावे कै।
हमने चौधरी साहब और उनके साथ आए दोनों लोगों को पहले चाय पिलाई और फिर उनकी दाढ़ी बनवाई। इसके बाद जाते समय उन्होंने हमें सौ का नोट थमा दिया। जब मैंने कहा कि खुल्ले पैसे नहीं हैं तो चौधरी देवीलाल ने कहा था-रख लो। इसके बाद देवीलाल जब प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो भिवानी में जनसभा में ही मंच पर कहा कि वह मुंढाल जाएंगे तो मुख्तयार की चाय पियेंगे। फिर क्या था, पूरा प्रशासनिक अमला मेरे चाय के खोखे पर पहुंच गया। पूछताछ होने लगी कि मुख्यमंत्री को चाय में क्या-क्या मिलाकर पिलाया जाएगा।
मुख्तयार कहते हैं, चौधरी साहब से तो मिलना-जुलना बाद में भी होता रहा पर सामाजिक न्याय के पुरोधा कर्पूरी ठाकुर से दोबारा मिलना नहीं हो सका। उनकी सादगी की हम आज भी चर्चा करते हैं। बिहार का मुख्यमंत्री होते हुए भी वे किस सादगी से रहते थे। करीब चार साल पहले कर्पूरी ठाकुर के बेटे राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर से एक पारिवारिक कार्यक्रम में मुलाकात हुई थी, उस दौरान उनके घर ठहरने का जिक्र चला था।
देवीलाल ने कहा था- यहां चाय पीकर मरूंगा नहीं
मुख्यतार बताते हैं कि चौधरी देवीलाल मुख्यमंत्री बनने के बाद चाय पीने खोखे पर आए तो उन्होंने अधिकारियों से कहा कि डरने की जरूरत नहीं। यहां चाय पीकर मैं नहीं मरुंगा। मुख्तयार ने बताया कि इसके बाद तो चौ. देवीलाल का आना जाना होने लगा।