232 साल के इतिहास में पहली बार संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नियमित हवन की शुरुआत होगी। जल्द ही विरान पड़े हवन कुंड से एक बार फिर से परंपरा जीवंत होगी। रोजाना यहां तीन घंटे यज्ञ के अनुष्ठान पूर्ण होंगे।
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के वीरान पड़े हवन कुंड से जल्द ही वेद व यज्ञ परंपरा जीवंत होगी। 232 साल के इतिहास में पहली बार 365 दिन चारों वेदों के मंत्रों से यज्ञ कुंड में आहुतियां अर्पित की जाएंगी। वसुधैव कुटुंबकम की अवधारणा और विश्वकल्याण के भाव से रोजाना तीन घंटे यज्ञ के अनुष्ठान पूर्ण होंगे।
कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि प्राच्यविद्या के केंद्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में चतुर्वेद स्वाहाकार विश्वकल्याण महायज्ञ के तहत रोजाना हवन किया जाएगा। हवन से पर्यावरण शुद्धि के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। औषधि युक्त हवन सामग्री से यज्ञ करने से पर्यावरण शुद्ध होगा। रोगाणुओं, कीटाणुओं व वायरस का संक्रमण नष्ट होगा। वेद विभाग की यज्ञ शाला में निरंतर हवन होगा।
कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय के वेद विभाग के अंतर्गत स्थापित स्मार्त यज्ञशाला में आचार्यों और विद्यार्थियों द्वारा विधि-विधान से चतुर्वेद स्वाहाकार विश्व-कल्याण महायज्ञ किया जाएगा। इसके लिए वास्तुविद आरसी जैन व उद्योगपति आरके चौधरी ने हवन से संबंधित संपूर्ण सामग्रियों की आपूर्ति निरंतर देने का संकल्प लिया है। वेद विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. महेंद्र पांडेय और सहायक आचार्य डॉ. विजय कुमार शर्मा को अधिकृत किया गया है।
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