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डिजी यात्रा फाउंडेशन ने कहा- हमेशा हमारे पूर्ण नियंत्रण में रहा एप

डिजी यात्रा फाउंडेशन ने कहा कि डिजी यात्रा का डाटाइवॉल्व सॉल्यूशंस से कोई संबंध नहीं है। डाटाइवॉल्व एक प्रबंधित सेवा प्रदाता के रूप में प्रबंधन कर रहा था। कंपनी ने कहा कि केवल बिलिंग खातों का प्रबंधन डाटाइवॉल्व द्वारा किया गया था।

डिजी यात्रा फाउंडेशन ने बुधवार को कहा कि डिजी यात्रा एप हमेशा उसके पूर्ण नियंत्रण में रहा है। दरअसल, इससे पहले इस तरह की रिपोर्ट सामने आई थीं कि डिजी यात्रा फाउंडेशन कथित तौर पर अपने पूर्व विक्रेता डाटाइवॉल्व सॉल्यूशंस से अलग हो रहा है और उसने एप के लिए बिलिंग खाते और प्रबंधन सेवाओं की पेशकश की है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, डिजी यात्रा पर यात्रियों की ओर से साझा किए गए डाटा को (स्टोर करने को) लेकर चिंताएं हैं। पूर्व विक्रेता डाटाइवॉल्व सॉल्यूशंस जांच के दायरे में आ गया है। यह पूछे जाने पर कि क्या डाटाइवॉल्व अभी भी डिजी यात्रा से जुड़ा हुआ है, फाउंडेशन ने जवाब ना में दिया।

फाउंडेशन के मुताबिक, डिजी यात्रा का डाटाइवॉल्व से कोई संबंध नहीं है। नीति आयोग के सीआईसी बुनियादी ढांचे पर डिजी यात्रा शुरू हुई और बाद में डाटाइवॉल्व में चली गई, जो एक प्रबंधित सेवा प्रदाता के रूप में प्रबंधन कर रहा था। कंपनी ने बुधवार को कहा, केवल बिलिंग खाता और प्रबंधन डाटाइवॉल्व द्वारा किया गया था।

पिछले हफ्ते फाउंडेशन के सीईओ सुरेश खड़कभवी ने बताया था कि डिजी यात्रा में यात्रियों का कोई डाटा स्टोर नहीं होता है। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि यह सिर्फ (यूजर्स के) फोन में होता है और यह यात्री के खुद के नियंत्रण में होता है। डिजी यात्रा चेहरे की पहचान तकनीक (एफआरटी) पर आधारित है। यह एप हवाई अड्डों पर यात्रियों को संपर्क रहित निर्बाध आवाजाही प्रदान करती है। वर्तमान में इस एप के करीब 50 लाख यूजर हैं।

डिजी यात्रा के लिए यात्री की ओर से दिए डाटा को एन्क्रिप्टेड रखा जाता है। इस सेवा का लाभ उठाने के लिए यात्री को आधार आधारित सत्यापन कराना होगा। इसके अलावा, खुद के द्वारा खींची गई तस्वीर का इस्तेमाल डिजी ऐप पर अपलोड करना होगा। साथ ही अपना विवरण दर्ज कराना होगा। अगले चरण में बोर्डिंग पास को स्कैन करना होगा और जानकारी को हवाई अड्डे के साथ साझा करना होगा।

यात्री को सबसे पहले ई-गेट पर बार-कोड वाले बोर्डिंग पास को स्कैन करना होगा। इसके बाद ई-गेट पर लगा फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम यात्री की पहचान करेगा और यात्रा दस्तावेज को मान्य करेगा। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद यात्री ई-गेट के जरिए एयरपोर्ट में प्रवेश कर सकेगा। यात्री को विमान में सवार होने के लिए सामान्य प्रक्रिया का पालन करना होगा।

इससे पहले इसी साल जनवरी में विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि यह पूरी तरह से यात्रियों की इच्छा पर निर्भर है। उन्होंने हवाई अड्डों पर तैनात कर्मियों को निर्देश दिया था कि वे यात्रियों की सहमति के बाद ही एप के लिए डाटा एकत्र करें।