समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव को लेकर फूंक-फूंककर कदम रख रही है। कई सीटों पर उम्मीदवारों का एलान होने के बाद फिर से नए प्रत्याशियों का एलान किया गया। यानि पहले जिस प्रत्याशी के नाम का एलान किया, उसका टिकट काटकर दूसरे को दिया गया है।
एक बार फिर यूपी की कन्नौज सीट से प्रत्याशी बदलने की चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है। 22 अप्रैल को समाजवादी पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की थी, इस लिस्ट में दो उम्मीदवारों के नाम थे। जिसमें कन्नौज सीट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने परिवार के सदस्य और लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारा था, जबकि बलिया लोकसभा सीट से सनातन पांडेय को टिकट दिया गया था।
सपा नेतृत्व के नजदीकी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता और नेता अखिलेश यादव के ही कन्नौज से चुनाव लड़ने की मांग कर रहे थे। उन्होंने अखिलेश यादव से अपना फैसला बदलने की गुजारिश की है।
इसके चलते अखिलेश यादव ने खुद चुनाव लड़ने का फैसला लिया। हालांकि समाजवादी पार्टी की ओर से इसकी आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई है। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव 25 अप्रैल को कन्नौज सीट से नामांकन दाखिल कर सकते हैं।
इससे पहले खबर यह थी कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे। इसके पीछे सियासी निहितार्थ हैं। वह उत्तर प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाना चाहते हैं और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए यूपी में बने रहना चाहते हैं।
फ्लैशबैक में जाएं तो अखिलेश यादव ने मैनपुरी के करहल से विधायक बनने के बाद आजमगढ़ लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष का पद खुद संभाला। चाचा शिवपाल के साथ आने के बाद नेता प्रतिपक्ष के पद को लेकर कयासबाजी शुरू हुई, लेकिन वे अपने फैसले पर अडिग रहे।
लोकसभा चुनाव के दौरान उनके आजमगढ़ या कन्नौज से मैदान में उतरने की संभावना जताई जा रही थी, लेकिन आजमगढ़ से धर्मेंद्र यादव और कन्नौज से तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार घोषित कर उन्होंने इन संभावनाओं पर विराम लगा दिया था। हालांकि इसके पीछे रणनीति बताई जा रही है।
नेता प्रतिपक्ष के पास कैबिनेट मंत्री की तरह कई अधिकार होते हैं। प्रदेश की सियासत के आधार पर भी नेता प्रतिपक्ष का पद अहम माना जाता है। जबकि सांसद के पास निधि और कुछ विशेषाधिकार ही होते हैं।
पारिवारिक एकजुटता की कोशिश
अखिलेश यादव ने कन्नौज से तेज प्रताप यादव को मैदान में उतारकर पार्टी के अंदर किसी तरह के विरोध को उभरने से रोका है। कन्नौज से पहले डिंपल यादव सांसद थीं, लेकिन मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद वह मैनपुरी से लोकसभा उपचुनाव लड़ीं, जबकि यहां से तेज प्रताप सांसद रह चुके हैं। ऐसे में मैनपुरी के बदले कन्नौज देकर उन्होंने पारिवारिक एकजुटता का संदेश दिया।
चौथे चरण की 13 सीटों के लिए अबतक 80 प्रत्याशी मैदान में
लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में 13 सीटों के लिए अब तक 80 प्रत्याशियों द्वारा नामांकन पत्र दाखिल किये गये। मंगलवार को 35 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। इसके पहले 45 प्रत्याशियों ने नामांकन किया था। ददरौल विधानसभा उप निर्वाचन के लिए मंगलवार को एक प्रत्याशी ने नामांकन किया। इसके पहले दो प्रत्याशियों ने नामांकन किया था।
मंगलवार को शाहजहांपुर सीट के लिए तीन प्रत्याशियों ने नामांकन किया। खीरी लोकसभा सीट के लिए अब तक 04 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। धौरहरा से तीन प्रत्याशियों ने नामांकन किया। सीतापुर से 5 प्रत्याशियों ने नामांकन किया। हरदोई (अजा) लोकसभा सीट के लिए दो प्रत्याशियों ने नामांकन किया। मिश्रिख (अजा) से एक. उन्नाव से तीन, फर्रूखाबाद से तीन, इटावा (अजा) से तीन, कन्नौज से तीन, कानपुर लोकसभा से छह, अकबरपुर से दो, बहराइच से एक और ददरौल से एक ने नामांकन किया।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि चौथे चरण की 13 लोकसभा सीटों ददरौल विधानसभा उप निर्वाचन के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 25 अप्रैल है। नामांकन पत्रों की जांच 26 अप्रैल (शुक्रवार) को की जायेगी। 29 अप्रैल, 2024 (सोमवार) को नाम वापसी की अंतिम तिथि है। इसके उपरान्त इन निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों की सूची अंतिम हो जाएगी। मतदान 13 मई को होगा।