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दिल्ली: आरएमएल अस्पताल में सिस्टम से होता रहा रिश्वतखोरी का धंधा

सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक अगर कॉर्डियोलॉजिस्ट अजय राज व पर्वतगौड़ा चन्नप्पागौड़ा को बतौर रिश्वत 20 हजार रुपये नहीं मिलते थे तो गर्भवती को वार्ड से बाहर निकाल दिया जाता था।

राष्ट्रीय राजधानी के डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का पूरा एक सिस्टम काम करता है। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक अगर कॉर्डियोलॉजिस्ट अजय राज व पर्वतगौड़ा चन्नप्पागौड़ा को बतौर रिश्वत 20 हजार रुपये नहीं मिलते थे तो गर्भवती को वार्ड से बाहर निकाल दिया जाता था। अस्पताल के क्लर्क भुवाल व नर्स शालू धमकाते हैं और लेनदेन सुचारू ढंग से बिना व्यवधान हो इसके लिए यूपीआई का विकल्प भी मौजूद है।

सीबीआई ने रिश्वतखोरी के इस मामले में अपनी एफआईआर में 11 व्यक्तियों और चार फर्मों को नामित किया है, जिनमें छह अस्पताल कर्मचारी, एक बिचौलिया और चार चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। एजेंसी ने एफआईआर में यह भी दावा किया कि पर्वतगौड़ा ने चिकित्सा आपूर्तिकर्ताओं से उन्हें मिलने वाली रिश्वत जल्द से जल्द देने के लिए कहा था। 2 मई को, उन्होंने नागपाल को 2.48 लाख रुपये की रिश्वत राशि देने के लिए कहा, जिसे नागपाल ने मंगलवार तक देने का आश्वासन दिया।

पर्वतगौड़ा ने 23 अप्रैल को अहमद से सभी रिश्वत जल्द से जल्द देने को कहा था क्योंकि वह गर्मी की छुट्टियों के दौरान यूरोप जाने वाला था। अहमद ने इससे पहले मार्च में पर्वतगौड़ा के पिता बसंत गौड़ा के खाते में 1.95 लाख रुपये जमा कराए थे। इसी तरह पर्वतगौड़ा ने एक दूसरे सप्लायर आकर्षण गुलाटी से यूपीआई के जरिये 36 हजार रुपये और शेष रकम नकद ली थी। सीबीआई ने एफआईआर में कॉर्डियोलॉजिस्ट अजय राय और भारती मेडिकल टेक्नोलॉजीज के भरत सिंह दलाल के बीच कई लेनदेन का भी जिक्र किया।

मेडिकल बनवाने के लिए फिक्स था क्लर्क संजय का रेटचार्ट
अस्पताल का क्लर्क संजय 100 रुपये में एक दिन की रेस्ट का मेडिकल सर्टिफिकेट चुटकी बजाते बनवा देता था। यही नहीं उसका रेट चार्ट फिक्स था। एक दिन के 100 रुपये तय थे। एजेंसी की एफआईआर में ऐसे चार मौके दिखाए गए हैं जब क्लर्क संजय ने 700 रुपये में सात दिन, 300 रुपये में तीन और 500 रुपये में पांच दिन का मेडिकल बनवा कर दिया है।

क्लर्क भुवाल की जेब गर्म करो मनचाहे दिन डॉक्टर का अपॉइंटमेंट पक्का
सीबीआई के मुताबिक क्लर्क भुवाल जायसवाल डॉक्टरों के अपॉइंटमेंट दिलाने के नाम पर भी रिश्वत वसूलता था। अस्पताल में मनचाहे दिन डॉक्टर का अपॉइंटमेंट पाने के लिए सिर्फ भुवाल की जेब गर्म करनी होती है। भुवाल रिश्वत लेने के बाद अपॉइंटमेंट के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी देता है।

आरएमएल अस्पताल हीट स्ट्रोक यूनिट शुरू
हीट स्ट्रोक के मरीजों को तुरंत राहत देने के लिए डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में बुधवार को हीट स्ट्रोक यूनिट की शुरुआत हुई। आपातकालीन विभाग में शुरु हुए इस अत्याधुनिक यूनिट का उद्घाटन स्वास्थ्य मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव रोली सिंह ने किया।

इस मौके पर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शुक्ला ने कहा कि हीट स्ट्रोक के मरीजों के लिए एक-एक मिनट कीमती होता है। ऐसे मरीजों का तुरंत तापमान कम करने की आवश्यकता होती है। इसे देखते हुए आपातकालीन विभाग में विशेष यूनिट को शुरू किया गया है। मौजूदा समय में यह यूनिट दो बिस्तर के साथ सेवा देगी। यहां पर अलग से टब भी लगाए गए हैं।

अस्पताल में मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. अजय चौहान ने बताया कि इस यूनिट की मदद से आपातस्थिति में भी मरीज की रक्षा की जा सकेगी। यदि किसी मरीज को हीट स्ट्रोक की दिक्कत होती है तो उस पर पानी का छिड़काव करते हुए तुरंत अस्पताल लाना चाहिए। यदि मरीज को समय पर इलाज नहीं मिलता तो 80 फीसदी मामलों में मौत तक हो सकती है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे ही हीट स्ट्रोक की आशंका भी बढ़ रही है।

ऐसे में यह यूनिट काफी मददगार साबित होगी। इस यूनिट में बर्फ के कंटेनर के साथ दो टब रखे गए हैं। इसकी मदद से मरीज के तापमान को तुरंत नीचे लाया ला सकेगा। इस यूनिट को त्वरित शीतलन उपचार से लेकर विशेषज्ञ चिकित्सा पर्यवेक्षण, गर्मी में थकावट व हीट स्ट्रोक, किसी भी अन्य गर्मी से संबंधित बीमारियों से पीड़ित रोगियों के इलाज के लिए तैयार किया गया है।

एम्बुलेंस भी की गई है तैयार
आपातकालीन चिकित्सा विभाग की प्रमुख डॉ. सीमा बालकृष्ण वासनिक ने कहा कि हीट स्ट्रोक के रोगियों को लाने के लिए एम्बुलेंस की तैयार की गई है। इस एम्बुलेंस में विशेष सुविधाएं होंगी। हीट स्ट्रोक रोगी प्रबंधन में समय ही सब कुछ है।