
योग का अर्थ होता है, जुड़ना। योग के माध्यम से आज पूरा विश्व एक परिवार के रूप में जुड़ गया है। भारत में योग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य मानव शरीर और मानसिक स्वास्थ्य को स्वस्थ रखना हैं। योग न केवल शरीर को रोगमुक्त रखने में सहायक होता है बल्कि इसके निरंतर अभ्यास करने से मन को शांति भी प्राप्त होती है। भारत को पूरी दुनिया में योग गुरु के नाम से जाना जाता है, जहां ऋषि-मुनियों द्वारा सदियों से योग का अभ्यास किया जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस एकता और सद्भाव को बढ़ावा देते हुए सांस्कृतिक और धार्मिक सीमाओं को पार करता है। योग सभी के लिए एक अभ्यास है, भले ही व्यक्तिगत विश्वास या जुड़ाव कुछ भी हो। योग को अपनाने से समाज में एकता और अर्न्तसंबंधों की सामूहिक भावना बढ़ती है। इस वर्ष का थीम भी ‘स्वयं और समाज के लिए योग‘ रखा गया है।
योग हमारी जीवनशैली को बेहतर बनाता है। योग के आसनों को अपनाकर अनेक तहर की बीमारियों को दूर किया जा सकता है। यह आज की जीवनशैली में होने वाले तनाव को दूर करता है और लोगों में भावनात्मक अनुभूति को जगाता है। यह चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। आध्यात्मिक रूप से योग आत्म-जागरूकता की संवेदनाओं को मजबूत बनाता है और आंतरिक शांति और शक्ति प्रदान करता है।
योग का मानव जीवन में बहुत महत्व है क्योंकि इसका संबंध मनुष्य के शरीर और मन को स्वस्थ रखने से संबंधित हैं। योग के नियमित अभ्यास से मन की एकाग्रता और भावनाओं को ध्यान केन्द्रित किया जाता है। योग एक ऐसा व्यायाम है जो शरीर को फुर्तीलेपन, शक्ति और संतुलन प्रदान करता है।
“अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस” मनाने की शुरुआत भारत देश की ओर से की गई थी, जिसे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाने की शुरुआत सबसे पहले वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी। जब संयुक्त राष्ट्र की बैठक में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था, इसके बाद महासभा ने 11 दिसंबर 2014 को इस प्रस्ताव को स्वीकार किया जिसे संयुक्त राष्ट्र में शामिल सभी 193 देशों के सदस्यों ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद ही अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हर साल 21 जून के दिन “अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस” मनाए जाने की घोषणा कर दी गई। वर्ष 2015 से हर साल पूरी दुनिया में अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाएं जाने का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में योग के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।
योग के प्रति उत्साही, चिकित्सक और संगठन दुनिया भर में कार्यक्रमों और गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला आयोजित करने के लिए एक साथ आते हैं। सामूहिक योग सत्र, कार्यशालाएं, सेमिनार और व्याख्यान सार्वजनिक पार्कों, स्टेडियमों, सामुदायिक केंद्रों और योग स्टूडियो में होते हैं। ये सभाएँ परस्पर एक-दूसरे से जुड़ाव और समभाव को बढ़ावा देता हैं, जिससे सभी उम्र, पृष्ठभूमि और फिटनेस स्तर के व्यक्ति योग की परिवर्तनकारी शक्ति का अनुभव होता है।
सम्प्रति-लेखक श्री धनंजय राठौर जनसम्पर्क विभाग छत्तीसगढ़ में संयुक्त संचालक हैं।
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