
रायपुर 10 सितम्बर।छत्तीसगढ़ सरकार ने आबादी भूमि (प्रचलित/सुरक्षित) में काबिज परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना (बीएलसी) में पात्रता रखने वाले हितग्राहियों को हितग्राही होने का प्रमाण पत्र तथा आवास निर्माण के लिए सहायता राशि देने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज शाम यहां आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई।दरअसल सबके लिए आवास मिशन के तहत वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना का शुभारंभ हुआ था। छत्तीसगढ़ के सभी 168 शहरी निकायों में इस मिशन का क्रियान्वयन हो रहा है। कई हितग्राही ऐसे हैं, जो प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास प्राप्त करने की पात्रता रखते हैं और शासकीय/निकाय की भूमि पर काबिज हैं, लेकिन उनके पास स्वामित्व की वैधता का प्रमाण-पत्र नहीं है।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने गत 18 जुलाई को योजना की समीक्षा बैठक में इस कठिनाई पर विचार करते हुए प्रक्रिया के सरलीकरण के लिए यह निर्देश दिए थे कि पट्टे के स्थान पर पात्र हितग्राहियों को पात्रता से संबंधित वैकल्पिक प्रमाण पत्र जारी किया जाए। उन्होंने कहा था कि इस वैकल्पिक प्रमाण-पत्र के आधार पर हितग्राहियों को सहायता राशि जारी की जानी चाहिए। उनके निर्देश पर यह विषय आज मंत्रिरिषद की बैठक में लाया गया, जिसका अनुमोदन किया गया।
बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार साग-सब्जियों और फलों तथा फूलों की खेती करने वाले किसानों के लिए छत्तीसगढ़ शाकम्भरी बोर्ड का गठन किया जाएगा।
मंत्रिपरिषद ने आज की बैठक में यह भी निर्णय लिया कि खरीफ विपणन वर्ष 2018-19 में सहकारी समितियों धान उपार्जन के लिए डाटा एन्ट्री आपरेटरों का नियोजन बाह्य एंजेसियों के माध्यम से करने के निर्णय को एक साल के लिए स्थगित रखा जाए और उनका नियोजन समितियों द्वारा किया जाए। इस पर आने वाला व्यय भार छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) को प्रतिपूर्ति मद के अन्तर्गत राज्य शासन द्वारा दिया जाएगा। लगभग दो हजार डाटा एन्ट्री आपरेटरों को इसका लाभ मिलेगा।
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