विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयसस का मानना है कि “इतिहास खुद को दोहरा रहा है, क्योंकि तम्बाकू उद्योग हमारे बच्चों को एक ही निकोटीन को अलग-अलग पैकेजिंग में बेचने की कोशिश कर रहा है। ये उद्योग सक्रिय रूप से स्कूलों, बच्चों और युवाओं को नए …
Read More »30 मई ; हिंदी पत्रकारिता दिवस, किस पर भरोसा करें ?- राज खन्ना
30 मई 1826। इस दिन कलकत्ता से हिन्दी का पहला अख़बार ” उदन्त मार्तण्ड ” छपा था। यह साप्ताहिक था। कानपुर के पंडित युगल किशोर शुक्ल संपादक थे। अख़बार को कम उम्र मिली। 11 दिसम्बर 1827 को आखिरी अंक छपा। बन्द हो चुके इस अखबार के 1976 में डेढ़ …
Read More »गांधी परिवार के हनुमान हैं किशोरी लाल शर्मा
अमेठी संसदीय सीट से कांग्रेस ने श्री किशोरीलाल शर्मा को उतार कर देशवासियों को भले ही चौंकाया हो लेकिन अमेठी के लोगो का मानना है कि गांधी परिवार के बाद किशोरीलाल शर्मा से बेहतर और कोई उम्मीदवार नही हो सकता था।श्री शर्मा गांधी परिवार के हनुमान है,और लगभग 40 वर्षों …
Read More »लोकतंत्र व चुनाव वाया मजदूर दिवस – डॉ.राजाराम त्रिपाठी
चुनावी व्यस्तताओं के बीच अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस भी आया और चला गया। यूं तो साल के 365 दिन यह देश कोई न कोई राष्ट्रीय अथवा अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाते रहता हैं। बाल दिवस,वृद्ध दिवस, महिला दिवस, किसान दिवस पर्यावरण दिवस वगैरह वगैरह। अब तो हालात यह हैं कि 365 दिन भी …
Read More »राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र चुनाव आयोग में पंजीकृत हो – रघु ठाकुर
लोकतांत्रिक देशों में चुनाव के समय घोषणा पत्र जारी करने का चलन रहा है। दरअसल घोषणा पत्र का चलन संबंधित पार्टी के द्वारा आने वाले समय में कौन से काम को हाथ में लेंगे और क्या होना चाहिए इसका एक विवरण या पांच वर्षीय कार्यक्रम जैसा होता है। परंतु पिछले …
Read More »फिल्मों की देहरी से राजनीति के चौखट तक हैं कंगना रनौत
भारत में आमजनो के चर्चा के परिप्रेक्ष्य में देखे तो आम जनता के चर्चे में राजनीति और फिल्मों का विषय अति लोकप्रिय विषय है। कोई नई फिल्म का आगमन हो या केंद्र अथवा राज्य के चुनाव हो तो चर्चे का विषय केंद्र यही बन जाते है। 2024के लोक सभा चुनाव …
Read More »अधिकतम मतदान के जरिये ही देश की राजनीति को सुधारा जा सकता है- ललित गर्ग
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम से तीन माह के लिए विराम लेते हुए लोकतंत्र के महाकुंभ चुनाव में पहली बार वोटर बने युवाओं से रिकार्ड संख्या में मतदान का आग्रह किया। अधिकतम संख्या में मतदान लोकतंत्र की जीवंतता का प्रमाण होने के साथ लोकतंत्र के बलशाली होने …
Read More »किसान की समस्या की जड़ में कौन बाजार या सरकार ? –डॉ.राजाराम त्रिपाठी
इन दिनों देश के किसान फिर आंदोलित है, दिल्ली की देहरी पर हैं। इससे पहले अभी हाल में ही देश ने एक बड़ा व्यापक किसान आंदोलन भी देखा है। लेकिन यदि गौर से देखा जाए तो आजादी के बाद से ही अलग-अलग समस्याओं को लेकर स्थानीय स्तर पर किसान लगातार …
Read More »‘आएगा तो मोदी ही, आएगा तो मोदी ही’ –पंकज शर्मा
मुझे नहीं मालूम कि नरेंद्र भाई ही आएंगे या नहीं। लेकिन मुझे इतना मालूम है कि अगर वे आएंगे तो हमारे देश का, हमारे समाज का, क्या-क्या जाएगा और अगर वे जाएंगे तो क्या-क्या आएगा। भाजपा का आना अलग बात है। नरेंद्र भाई का आना अलग बात। नरेंद्र भाई के …
Read More »वृद्ध जनों के साथ, कितना न्याय कर पा रहा है समाज ! –डा. राजाराम त्रिपाठी
(20 फरवरी-‘विश्व सामाजिक न्याय दिवस’ पर विशेष) पिछले दिनों हमने एक खबर पढ़ी कि अपने युवावस्था में रजत फैट पर राज करने वाली देश की एक विख्यात अभिनेत्री अपने जीवन के अंतिम चरण में अपने कमरे में मृत पाई गई दुखद पहलू यह था कि उनकी मृत्यु का पता तब …
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