23 सितम्बर को जब देशभर में आयुर्वेद दिवस के नाम पर संगोष्ठियाँ और समारोह हो रहे थे, तब दूसरी ओर अंग्रेज़ी अस्पतालों की ओपीडी में लंबी कतारें लगी थीं, दवा दुकानों में धक्का-मुक्की मची थी और चिकित्सा-विज्ञान का यह अजब तमाशा था कि मामूली खाँसी-बुखार तक के लिए पर्ची …
Read More »नए समय की चुनौतियों के बीच मीडिया शिक्षा – प्रो.संजय द्विवेदी
मीडिया शिक्षा में सिद्धांत और व्यवहार का बहुत गहरा द्वंद है। ज्ञान-विज्ञान के एक अनुशासन के रूप में इसे अभी भी स्थापित होना शेष है। कुछ लोग ट्रेनिंग पर आमादा हैं तो कुछ किताबी ज्ञान को ही पिला देना चाहते हैं। जबकि दोनों का समन्वय जरूरी है। सिद्धांत भी …
Read More »रक्तदान शिविरःउम्मीदों के दिये -राज खन्ना
शिविर आयोजन के दिन मेडिकल की छात्रा अरुणिमा सिंह की सुल्तानपुर में उपस्थिति संभव नहीं होगी, इसलिए तीन दिन पहले ही वे रक्तदान कर गईं। … और होमगार्ड की डिप्टी कमांडेंट, वालीबाल की मशहूर राष्ट्रीय खिलाड़ी जहांआरा जी तो अब तक 103 बार रक्तदान कर चुकी हैं। पूर्वांचल के एक …
Read More »नरेन्द्र मोदीःध्रुवतारे की तरह चमकता पृथ्वी का सितारा- डा.एम.पी.सिंह
(प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर विशेष) गुजरात के वडनगर का छोटा सा शहर अभी भी सुबह की धुंध में सो रहा था, तभी एक हल्की सी रोशनी संकरी गलियों को रोशन कर रही थी। एक साधारण से घर के अंदर, हीराबेन मोदी ने चुपचाप माचिस जलाई और तेल का दीया …
Read More »मोदीःसंवाद और कर्मयोग से बना व्यक्तित्व – प्रो. संजय द्विवेदी
(प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर विशेष) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 75 वां जन्मदिन आज है। उनकी जीवन यात्रा रचना, सृजन और संघर्ष की त्रिवेणी है। उनके व्यक्तित्व का सबसे खास पक्ष है संचार और संवाद।भारत जैसे महादेश को संबोधित करना आसान नहीं है। इस विविधता भरे देश में …
Read More »हिंदी : राजभाषा, राष्ट्रभाषा और विश्वभाषा – प्रो.संजय द्विवेदी
(हिंदी दिवस 14 सितंबर पर विशेष) एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति और संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है, …
Read More »राष्ट्रीय एकता के लिये एक राष्ट्र भाषा जरूरी -रघु ठाकुर
(हिंदी दिवस पर विशेष) फिर से एक बार देश में हिन्दी विरोधी अभियान शुरु हुआ है। कुछ शैक्षणिक संस्थाओं ने शोध कार्य के लिये अंग्रेजी की अनिवार्यता तय की है। निजी शिक्षण संस्थाओं में विशेषतः बाल शिक्षा (के.जी) और प्राथमिक शिक्षा में न केवल अंग्रेजी को अनिवार्य रुप से …
Read More »हिंदी राजभाषा राष्ट्रभाषा या वैश्विक भाषा ? – डॉ.राजाराम त्रिपाठी
“हिंदी दिवस” के बहाने हर साल हम सब उसी पुराने झुनझुने को बजाते हैं,, हिंदी हमारी आत्मा है, हिंदी हमारी पहचान है, हिंदी की जय हो। और अगले ही पल फाइलें, आवेदन पत्र, आदेश और अदालती कार्यवाही अंग्रेज़ी में ही चलती रहती हैं। यह वही स्थिति है, जिसे कवि भवानीप्रसाद …
Read More »टैरिफ की आँधी में स्वदेशी की मशाल: एकजुट भारत का आर्थिक धर्मयुद्ध -डॉ. राजाराम त्रिपाठी
हाल में लागू अमेरिकी 50% टैरिफ के बावजूद भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यह आर्थिक युद्ध राजनीति से ऊपर उठकर लड़ना होगा। देश को जब समझने की जरूरत है कि , अब यह केवल आर्थिक मुद्दा नहीं है, यह सीधे सीधे देश के आत्मस्वाभिमान से जुड़ा …
Read More »शुचिता की आड़ में संविधान संशोधन एक अधिकारवादी तंत्र स्थापना की कोशिश – रघु ठाकुर
(रघु ठाकुर) भारत सरकार ने अचानक पिछले 20 अगस्त को संसद में एक बिल प्रस्तावित किया जिसे 130 वां संविधान संशोधन विधेयक 2025 बताया गया। इस संशोधन प्रस्ताव के माध्यम से यह प्रस्तावित किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति जो किसी संवैधानिक पद पर है गिरफ्तार किया जाता है …
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