Saturday , September 20 2025

रक्तदान शिविरःउम्मीदों के दिये -राज खन्ना

शिविर आयोजन के दिन मेडिकल की छात्रा अरुणिमा सिंह की सुल्तानपुर में उपस्थिति संभव नहीं होगी, इसलिए तीन दिन पहले ही वे रक्तदान कर गईं। … और होमगार्ड की डिप्टी कमांडेंट, वालीबाल की मशहूर राष्ट्रीय खिलाड़ी जहांआरा जी तो अब तक 103 बार रक्तदान कर चुकी हैं। पूर्वांचल के एक छोटे से शहर सुल्तानपुर में दूसरों की सहायता की एक अनूठी और बड़ी कोशिश अब अभियान का रूप ले चुकी है। प्रति वर्ष पंद्रह हजार यूनिट से अधिक रक्त , यहां के सरकारी मेडिकल कॉलेज के ब्लड बैंक में रक्तदान से संचित होता है। अनेक मौकों पर क्षमता से अधिक रक्त उपलब्ध होने के कारण स्वेच्छा से रक्तदान करने वालों के नाम – पते और ग्रुप दर्ज कर लिए जाते हैं। आवश्यकता पर उनसे संपर्क किया जाता है। मांग पर वे जरूर आते हैं। इन कोशिशों पर नज़र रखने वाले कहते हैं कि अस्पताल में दवाएं कम पड़ सकती हैं लेकिन रक्त की कमी नहीं हो सकती।

रक्तदान को लेकर अनेक मिथ्या धारणाएं रहीं हैं। अपने रक्तसंबंधियों के लिए भी रक्त देने में लोग पिछड़ते देखे जाते हैं। लेकिन इस मामले में सुल्तानपुर कुछ अलग ही उदाहरण पेश करता है। यहां अनजानों की जान बचाने के लिए रक्तदानियों की कतारें लगती हैं। कैसे शुरू हुआ यह प्रेरक सफर ? यहां तब ब्लड बैंक नहीं था। 35 साल पहले ग्रामीण बैंक कर्मियों की सामाजिक – सांस्कृतिक संस्था ” कर्मचारी कल्याण परिषद ” ने सुल्तानपुर में ब्लड बैंक की मांग लेकर कदम बढ़ाए। फिर चिठ्ठी – पत्री , मुलाकातों का सिलसिला शुरू हुआ। वे जिम्मेदार लोगों को याद दिलाते रहे। बात नहीं सुनी गई। बैंक की नौकरी से कुछ दिन की छुट्टी ली और 14 युवा इसी नेक मकसद से 2 अक्टूबर 1990 से 13 अक्तूबर 1990 के बीच मोटर साइकिल से सुल्तानपुर से दिल्ली तक की शांति यात्रा कर आए। फिर भी काम नहीं हुआ। लेकिन हौसला बरकरार रहा। इस बार उन्होंने लखनऊ तक की सद्भावना पदयात्रा की। 3 से 7 अप्रैल1994 तक। 20 बैंक कर्मियों की 145 किलोमीटर की इस यात्रा की अगुवाई के लिए विधानपरिषद के सदस्य शैलेंद्र प्रताप सिंह सिर्फ पूरे रास्ते पदयात्री थे।विधानपरिषद में तब उनका पहला कार्यकाल था। अब पांचवां है।ये यात्री दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व.विश्वनाथ प्रताप सिंह से मिले थे। लखनऊ में तत्कालीन राज्यपाल स्व. मोती लाल बोरा और मुख्यमंत्री स्व. मुलायम सिंह यादव को सुल्तानपुर में ब्लड बैंक के अभाव में मरीजों की मौतों और उनके परिवारों के दुख – दुर्दशा की उन सबने याद दिलाई थी। इस बार सुनवाई हो गई थी। अगले कुछ दिनों में जिला अस्पताल में ब्लड बैंक स्थापित हो गया। इस यात्रा से जुड़े साथी सुधीर सिंहल,कुंवर कृष्ण भटनागर,अरुण कुमार सिंह,रुद्र प्रताप सिंह और आनंद प्रकाश दुबे आदि नौकरी से रिटायर हो चुके हैं लेकिन दूसरों की मदद का जज़्बा अभी भी बरकरार है।

शहीद स्मारक सेवा समिति के भाई करतार केशव यादव,माबूद अहमद, अनिल त्रिपाठी, अनूप संडा, संजय सिंह, अशोक सिंह सहित नामों की एक लंबी और सुनहरी सूची है , जिन्होंने दूसरों को प्रेरित करने के पहले स्वतः बार – बार रक्तदान किया। युवा समाजसेवी अभिषेक सिंह ने ” दैनिक जागरण ” के संवाददाता साथी सत्यप्रकाश श्रीवास्तव की इसी साल जून महीने में प्रकाशित एक खबर साझा की है। इसके अनुसार जहांआरा (103),डॉक्टर आशुतोष श्रीवास्तव (79), डॉक्टर सुशील कुमार सिंह (58),नीरव पांडे (58), अनूप संडा (52), सर्वेंद्र विक्रम (52),डॉक्टर ए.के.सिंह (50),सुरेश सोनो (50),अनिल द्विवेदी (50), डॉक्टर सुधाकर सिंह (47),करतार केशव यादव (44), प्रनीत सिंह बौद्धिक (43),अभिषेक सिंह (42), शराफत खान (40), अखिलेश पर्वत (38),तेज बहादुर पाठक (37), मयंक पांडे (35),आलमदार हुसैन (35), डॉक्टर एम. रजा (35), प्रशांत तिवारी (25),निजाम खान (23) बार रक्तदान कर चुके हैं। यह सूची महीनों पुरानी है। इस बीच मुमकिन है कि इन रक्तदाताओं ने और भी रक्तदान किए हों। अनेक नाम इसमें छूट गए होंगे। निसंकोच उन्हें साझा कीजिए। उद्देश्य सिर्फ इतना है कि रक्तदान को लेकर डर और हिचक दूर हो। उस दौर में जब अपनों की दुनिया सिमटती जा रही है। खुदगर्जी का अंधेरा घटाघोप है। दूरियां – कड़वाहट बढ़ रही है। तब भी ऐसे लोग हैं, जो उम्मीदों के दिए जलाए हुए हैं। ये दिये जलते रहने चाहिए। आपकी हथेलियों की आड़ आंधियों बीच उन्हें बचाएगी। समय निकालिएगा। किशोरी बाटिका पहुंचिएगा। आपकी मौजूदगी इस नेक काम में लगे लोगों का हौसला बढ़ाएगी।

सुल्तानपुर में अनेक सामाजिक संस्थाएं सेवा – सहयोग के कार्यों में निस्पृह भाव से योगदान कर रही हैं। सुखद पक्ष है कि नेक कार्यों के लिए मंच – माइक और निजी पहचान की फिक्र किए बिना सामूहिक रूप से अपने योगदान का भी उनके पास विशाल हृदय है। समाजसेवी एवं सुप्रसिद्ध चिकित्सक डॉक्टर सुधाकर सिंह की पहल से यह संभव हुआ है। शुरुआत में संयुक्त सेवा समिति के आयोजनों में 22 समितियां शामिल थीं। इस बार के रक्तदान शिविर में 86 समिति/संस्थाएं योगदान कर रही हैं। सयुंक्त सेवा समिति के माध्यम से महिलाएं अनेक सेवा कार्यों में सक्रिय हैं। समितियों ने नगर की सड़कों के डिवाइडर पर पौधोरोपण का संकल्प लिया। फिर पांच हजार पौधे रोपे ही नहीं अपितु उन्हें संरक्षित भी किया। गोमती नदी में गिरने वाले नालों और गंदगी को रोकने के लिए संयुक्त सेवा समिति की टीम लगातार प्रशासन और सरकार से प्रभावी कार्रवाई की मांग कर रही है।

कल रविवार 21 सितंबर को किशोरी वाटिका, जेल रोड, सुल्तानपुर पर सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक संयुक्त सेवा समिति एक बार फिर वृहद रक्तदान शिविर का आयोजन कर रही है। लक्ष्य 1008 रक्तदान का है। उत्साह इतना है कि 1600 से अधिक रक्तदाता अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, प्रतापगढ़,सुल्तानपुर और अयोध्या मेडिकल कॉलेजों के ब्लड बैंक की आठ टीमें इस काम को पूरा करेंगी। 2022 में समिति के लखनऊ शिविर में 700 यूनिट रक्तदान का रिकॉर्ड बना था। 2019 के शिविर में यह संख्या 600 थी। विशेष शिविरों के अतिरिक्त भी रक्तदान का सिलसिला वर्ष पर्यंत किसी विशेष दिवस के उपलक्ष्य अथवा लोगों की जरूरतों के मद्देनजर चलता रहता है। सराहनीय है कि नारी शक्ति की भी रक्तदान में समुचित हिस्सेदारी है ।

सम्प्रति- लेखक श्री राजखन्ना वरिष्ठ पत्रकार है।श्री खन्ना के आलेख देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों,पत्रिकाओं में निरन्तर छपते रहते है।श्री खन्ना इतिहास की अहम घटनाओं पर काफी समय से लगातार लिख रहे है।