बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को माना कि शिरडी साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट गुप्त दान पर टैक्स छूट के लिए पात्र है क्योंकि यह एक धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्ट दोनों है। जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और जस्टिस सोमशेखर सुंदरेसन की पीठ ने आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आइटीएटी) के फैसले को चुनौती देने वाली आइटी विभाग की अपील को खारिज कर दिया।
धार्मिक निकाय है साईं ट्रस्ट: कोर्ट
इस अपील में कहा गया था कि चूंकि ट्रस्ट एक धर्मार्थ और धार्मिक निकाय है, इसलिए यह अपने गुप्त दान पर आयकर से छूट के लिए पात्र है। हाई कोर्ट ने ट्रिब्यूनल से सहमति जताई और कहा कि संस्था एक धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है इसलिए ऐसी संस्था द्वारा प्राप्त कोई भी गुप्त दान टैक्स से छूट के लाभ के लिए हकदार होगा। संस्थान पश्चिमी महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के शिरडी में श्री साईबाबा के समाधि स्थल और इसके परिसर में स्थित अन्य सभी मंदिरों का शासी और प्रशासनिक निकाय है।
आयकर विभाग ने क्या दिया तर्क?
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा कि हमारा स्पष्ट मत है कि करदाता (संस्था) निश्चित रूप से एक धार्मिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है। आयकर विभाग के अनुसार साल 2019 तक साईंबाबा ट्रस्ट को दान के रूप में कुल 400 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भेंटस्वरूप प्राप्त हुई। इनमें जो व्यय किए गए उनमें प्रमुख व्यय शिक्षण संस्थाओं, हॉस्पिटल्स और मेडिकल फेसिलिटीज शामिल हैं, जो दर्शाता है कि यह सिर्फ एक धर्मार्थ ट्रस्ट है।
ट्रस्ट को खूब मिले गुमनाम दान
श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट ने दावा किया कि उसके पास धर्मार्थ और धार्मिक दोनों दायित्व हैं, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि यह पूरी तरह से एक धर्मार्थ ट्रस्ट है। आयकर विभाग (इनकम टैक्स डिपार्टमेंट) के टैक्स निर्धारण अधिकारी के मुताबिक, साल 2015 से 2019 के बीच ट्रस्ट को गुमनाम दान के रूप में भारी मात्रा में धन हासिल हुआ। डिपार्टमेंट ने कहा कि इस राशि को टैक्स से छूट नहीं दी जा सकती।
गौरतलब है कि 5 अक्टूबर मुंबई के एक साईं भक्त ने साईंबाबा संस्थान में स्वर्ण से निर्मित पंचारित भेंट की है। इसका वजन 1 किलो 434 ग्राम बताया गया है। इसकी मार्केट वेल्यू करीब एक करोड़ रुपए बताई गई है। इस पंचारति को साईं बाबा के चरणों में अर्पित किया गया है।