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आवारा कुत्तों पर इतनी सख्ती पर निराशा, सड़क पर उतरे सैकड़ों पशु प्रेमी…

देसी कुत्तों को बचाने के लिए सैकड़ों पशु प्रेमी सड़क पर उतरे। नगर निगम से शहीद स्मारक तक रैली निकाली गई।

देश की शान देसी श्वान… गली गली में नारा है, देसी श्वान हमारा है… एमसीडी का गड़बड़ घोटाला, नहीं भरेगा श्वान हमारा जैसे नारे और तख्तियां लेकर सैकड़ों पशु प्रेमी सोमवार को सड़क पर उतरे। उनका कहना था कि न्यायालय ने देसी कुत्तों (श्वानों) को कैद करने का जो निर्णय लिया है, उसको वापस लिया जाए। पशु प्रेमियों ने नगर निगम से शहीद स्मारक तक रैली भी निकाली।

देसी कुत्तों के संरक्षण का काम करने वाली संस्था कैस्पर्स होम ट्रस्ट, पीएफए, जीव आसरा संस्था, रुद्र एनिमल वेलफेयर आदि संस्थाओं के सदस्य व अन्य पशु प्रेमियों ने प्रदर्शन किया। कैस्पर्स होम की संस्थापक विनीता अरोड़ा ने बताया कि कुत्तों का स्थान बदलने पर वह मर भी सकते हैं। एमसीडी ने एबीसी (एनिमल बर्थ कंट्रोल) कार्यक्रम के तहत कुत्तों की नसबंदी नहीं की तो इसकी सजा कुत्तों को क्यों दी जा रही है। उन्हें गैर कानूनी ब्रीडिंग सेंटरों पर शिकंजा कसना चाहिए।

नगर निगम से सीखे एमसीडी
उन्होंने कहा कि जिस तरह आगरा नगर निगम पशु प्रेमियों के साथ देसी कुत्तों के लिए कार्य कर रहा है, एमसीडी को उससे सीख लेनी चाहिए। कुत्तों को कैद में रखना समस्या का हल नहीं है। प्रदर्शन में डिंपी महेंद्रू, शांतनु बंसल, रिचा गुप्ता, डॉ. तूलिका अग्रवाल, अनिरुद्ध, अपूर्व शर्मा, त्रिमोहन मिश्रा, राखी, डॉ. नेहरू आदि मौजूद रहे।

नगर आयुक्त के नाम सौंपा ज्ञापन
पशु प्रेमियों ने प्रदर्शन के बाद नगर पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह को नगर आयुक्त के नाम ज्ञापन सौंपा। डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि आगरा नगर निगम ने किसी भी शेल्टर होम का निर्माण नहीं किया है। पिछले तीन वर्षों में 60 से 70 हजार कुत्तों के ऑपरेशन एबीसी के तहत किए गए हैं। प्रतिवर्ष 70 हजार रेबीज वैक्सीनेशन करवा रहे हैं। कैस्पर्स होम की मदद से जन जागरूकता का काम भी किया जा रहा है। नगर निगम 2030 तक रेबीज फ्री सिटी का लक्ष्य पूरा करने में जुटा हुआ है।