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दिल्ली में स्कूल फीस नियंत्रण अधिनियम लागू, एलजी से मंजूरी मिलने के बाद सरकार ने किया अधिसूचित

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है, जिसके बाद सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है।

राजधानी में दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण और विनियमन में पारदर्शिता) अधिनियम 2025 लागू हो गया। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बताया कि उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है, जिसके बाद सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक कानून अब शिक्षा के व्यावसायिकरण पर अंकुश लगाएगा और स्कूलों की फीस निर्धारण में पारदर्शिता, जवाबदेही व निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस विधेयक में अभिभावकों की संवेदनाओं को प्राथमिकता दी गई है। वे स्कूल फीस के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। विधानसभा में 8 अगस्त को ये विधेयक पारित किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधेयक दिल्ली के लाखों अभिभावकों के लिए एक ऐतिहासिक जीत है। कई साल से अभिभावक निजी स्कूलों की मनमानी शुल्क वृद्धि से परेशान थे।

मनमानी फीस पर लगेगी लगाम
मुख्यमंत्री ने कहा कि अभिभावक, शिक्षक, स्कूल प्रबंधक और सरकार के प्रतिनिधि स्कूल स्तरीय फीस नियंत्रित समिति में शामिल होंगे। अब फीस बढ़ाने के लिए पहले प्रस्ताव लाना होगा। यह विधेयक फीस को बढ़ने से रोकने के लिए बहु-स्तरीय शिकायत निवारण सुविधा देगा। फीस के कारण छात्रों पर दंडात्मक कार्रवाई नहीं होगी। एक बार स्वीकृत की गई फीस फिर तीन साल तक नहीं बढ़ेगी, जिससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ का असर कम होगा।

पिछली सरकारों ने गंभीरता से नहीं लिया
मुख्यमंत्री का कहना है कि पिछली सरकारों ने फीस बढ़ने के मामले को गंभीरता से नहीं लिया। शिक्षा मॉडल का झूठ फैलाया, लेकिन न तो फीस सिस्टम को दुरुस्त किया न ही शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए प्रयत्न किए। कुछ स्कूलों ने तो बेखौफ 30-45 प्रतिशत तक फीस बढ़ाई।

शिक्षा विधेयक की खासियत
अब कोई भी स्कूल तय की गई फीस से ज्यादा धनराशि नहीं वसूल सकेगा।

हर स्कूल में फीस समिति होगी, इसमें प्रबंधन, शिक्षक, अभिभावक, महिलाएं और वंचित वर्ग के लोग शामिल होंगे, ताकि फीस तय करने में सबकी भागीदारी होगी।

जिले में शिकायत निवारण समिति, फीस से जुड़ी शिकायतें और विवाद वरिष्ठ शिक्षा अधिकारियों की अध्यक्षता में सुलझाएगी।

उच्चस्तरीय समिति जिला स्तर के फैसलों पर अपील की जांच करेगी, ताकि कोई भी पक्षपात न हो।

स्वीकृत फीस का ब्योरा नोटिस बोर्ड, वेबसाइट और हिंदी, अंग्रेजी व स्कूल की भाषा में खुले रूप में प्रदर्शित होगा।

एक बार तय हुई फीस तीन शैक्षणिक साल तक वही रहेगी।

ज्यादा या अवैध फीस लेने वाले स्कूलों पर भारी आर्थिक दंड लगाया जाएगा।