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सामाजिक बदलाव के मद्देनजर शिक्षा के मापदण्ड बनाने की जरूरत- उइके

बिलासपुर 21जनवरी।छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने कहा कि वर्तमान और भविष्य में होने वाले सामाजिक बदलाव और परिस्थिति की चुनौतियों को ध्यान में रखकर शिक्षा के मापदण्ड बनाने की आवश्यकता है, तभी हम श्रेष्ठ बने रह सकते हैं।

सुश्री उइके ने आज यहां पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय के चतुर्थ दीक्षांत समारोह को सम्बोधित कर रही थी।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज देश में मंदी का दौर है और रोजगार के अवसर की कमी हो रही है। ऐसे समय में ग्राम स्वराज की दिशा में चलकर आत्मनिर्भरता प्राप्त की जा सकती है।

राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि दूरस्थ ग्रामीण अंचल के निवासियों की भाषा, संस्कृति, सामाजिक संरचना तथा पर्यावरणीय ज्ञान पर अनुसंधान किया जाये तो कई ऐसे तथ्य सामने आएंगे, जो हमारे समाज को और अधिक बेहतर बनाने में सहायक होंगे। इस विश्वविद्यालय द्वारा दूरस्थ अंचलों के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा से जोड़ने का जो प्रयास किया जा रहा है, यह सराहनीय है। यह विश्वविद्यालय महिला अध्ययन केन्द्रों की स्थापना कर महिलाओं को सशक्त बनाने में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। यह भी एक अच्छा प्रयास है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अकादमिक स्तर, पाठ्यक्रम में लगातार सुधार, पुस्तकों का प्रकाशन, नियमित समय पर परीक्षाएं आयोजित कर परिणामों की घोषणा एवं डिग्रीयों को राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपाजिट्री (एनएडी) में ऑनलाईन अपलोड करने तथा आवश्यकताओं के अनुरूप तीव्र गति से आधारभूत ढांचा विकसित करने के प्रयास किये गए है।पर्यावरण की दृष्टि से भी सोलर सिस्टम और जल संग्रहण के लिये तालाब का निर्माण किया गया है।इसके लिये उन्होंने विश्वविद्यालय परिवार को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

श्री बघेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो छात्र-छात्राएं अपने महाविद्यालय की नियमित पढ़ाई छोड़ जाते है।यह विश्वविद्यालय उन्हें पढ़ाई पूरी कर डिग्री हासिल करने का अवसर दे रहा है। उन्होने कहा कि पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ के लेखक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व समाज सुधारक थे।आजादी की लड़ाई के समय अछूतोद्धार का कार्य छत्तीसगढ़ में किया।उनके नाम पर यह विश्वविद्यालय रखा गया है। विद्यार्थियों से कहा कि उनसे प्रेरणा लेकर अपने जीवन संग्राम में विजयी हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज पर्यावरण की चिंता सबको है। पूरे देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है।छत्तीसगढ़ में 44 प्रतिशत जंगल है।यह देश का 12 प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन पूरे देश को ऑक्सीजन देने का काम हमारा राज्य कर रहा है।इस योगदान का आंकलन राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिये।उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओ का उज्ज्वल भविष्य इंतजार कर रहा है।