नई दिल्ली 29 जुलाई।केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आज राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को स्वीकृति प्रदान कर दी।
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि इसमें जो बड़े सुधार किए गए हैं, उनमें वर्ष 2035 तक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सकल नामांकन दर को 50 प्रतिशत के लक्ष्य तक पहुंचाना और विद्यार्थियों को अलग-अलग स्तर पर शिक्षा छोड़ने या प्रवेश लेने की सुविधा प्रदान करना भी शामिल है।
नई शिक्षा नीति में किए गए प्रमुख सुधारों में शिक्षा संस्थाओं को अकादमिक, प्रशासनिक और वित्तीय स्वायत्तता प्रदान करना और सभी प्रकार की उच्च शिक्षा के लिए एक ही विनियामक बनाना भी शामिल है। इसके अलावा तरह तरह के निरीक्षण के स्थान पर स्वीकृति लेने के लिए स्वघोषणा पर आधारित पारदर्शी प्रणाली कायम करने की बात भी नई शिक्षा नीति में कही गई है।
नीति के अनुसार क्षेत्रीय भाषाओं में ई-पाठ्यक्रमों का विकास किया जाएगा और वर्चुअल प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी। राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फोरम(एनईटीएफ) का भी गठन किया जाएगा।प्रारंभिक साक्षरता और गणित पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राष्ट्रीय मिशन कायम किया जाएगा।पाठ्यक्रमों के शैक्षिक ढांचे में भी बड़े परिवर्तन किए गए हैं और कला तथा विज्ञान के बीच बड़ी विभाजन रेखा नहीं रखी गई है।
नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक और अकादमिक शिक्षा तथा शैक्षणिक और शिक्षणेत्तर गतिविधियों में भेद को भी समाप्त कर दिया गया है। बोर्ड की परीक्षाओं पर बहुत अधिक जोर नहीं दिया गया है और रटने के बजाए विद्यार्थियों के ज्ञान के वास्तविक परीक्षण पर जोर दिया गया है। नई नीति के अनुसार पांचवीं कक्षा तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा रहेगी और बच्चों के रिपोर्टकार्ड में उनके अंकों और ग्रेड की बजाए उनके कौशल और क्षमताओं का समग्र आकलन किया जाएगा।
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