नई दिल्ली 01 सितम्बर।सीमा पर चीन की लगातार उसकावे की हरकतों के मद्देनजर हालात पर आज एक उच्च स्तरीय बैठक में विस्तृत विचार विमर्श किया गया।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने विदेश मंत्री सुब्रमण्यम जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ बिपिन रावत, सेनाप्रमुख एम०एम० नरवणे और मिलट्री आपरेशंस के महानिदेशक के साथ चीन के मुद्दे पर विस्तृत चर्चा की।
सूत्रों के अनुसार चर्चा का केंद्रबिंदु चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी-पीएलए द्वारा दक्षिण पैंगोंग इलाके में हाल की उकसावे की कार्रवाई के मद्देनजर भारत की भविष्य में की जाने वाली कार्य रूपरेखा रहा। कल चुशुल में पीएलए की उकसावे वाली सैन्य कार्रवाई के बारे में भारतीय सेना और पीएलए के बीच ब्रिगेड स्तर की फ्लैग बैठक हुई थी।
सेना ने बताया कि पीएलए सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के दौरान दोनों पक्षों के बीच बनी राजनयिक और सैन्य सहमति का उल्लंघन किया है। पीएलए ने 29 और 30 अगस्त की रात में यथास्थिति बदलने की उकसावे वाली सैन्य कार्रवाई की। हालांकि, भारतीय सेना ने पहले ही पीएलए की मंशा भांपते हुए जवाबी कार्रवाई की।
चीन की सेना ने 29, 30 और 31 अगस्त को उकसाने वाली कार्रवाई की, जबकि इस दौरान दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के लिए बातचीत जारी थी। भारत-चीन सीमा क्षेत्र में हाल के घटनाक्रम के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि भारत ने हाल में चीन की उकसाने वाली और उत्तेजक कार्रवाई के बारे में राजनयिक और सैन्य माध्यमों के जरिए चीन से बातचीत की है।
दोनों देश सीमा पर स्थिति को सुलझाने के लिए पिछले तीन महीने से सैन्य और राजनयिक माध्यमों से परस्पर बातचीत कर रहे हैं। दोनों देशों के विदेशमंत्री और विशेष प्रतिनिधि इस बात पर सहमत हुए हैं कि स्थिति को जिम्मेदाराना तरीके से सुलझाया जाए और कोई भी पक्ष उकसाने वाली कार्रवाई न करे और यह सुनिश्चित किया जाए कि सीमा पर शांति बनी रहे।
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