नई दिल्ली 23 फरवरी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 21वीं सदी के भारत की आवश्यकताएं और आकांक्षाएं बदल गई है और अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों को स्वदेशी प्रौद्योगिकी संस्थानों के रूप में नई पहचान बनानी होगी।
श्री मोदी ने खड़गपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के 66वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के रास्ते में कोई शॉर्टकट नहीं है। यहां तक कि अगर कोई सफल नहीं भी होता है तब भी वह कुछ नया सीखता है क्योंकि असफलता ही सफलता का आधार होती है।उन्होने छात्रों को सेल्फ-थ्री बनने की सलाह दी।
उन्होने कहा कि जीवन के जिस मार्ग पर अब आप आगे बढ़ रहे हैं, उसमें निश्चित तौर पर आपके सामने कई सवाल भी आएंगे। ये रास्ता सही है, या गलत है? नुकसान तो नहीं हो जाएगा? समय बर्बाद तो नहीं हो जाएगा? ऐसे बहुत से सवाल आपके दिल दिमाग को जकड़ लेंगे। इन सवालों का उत्तर है- सेल्फ थ्री मैं सेल्फी नहीं कह रहा हूं, मैं कह रहा हूं सेल्फ थ्री। यानि सेल्फ अवेयरनेस, सेल्फ कॉन्फीडेन्स और जो सबसे बड़ी ताकत होती है वो है सेल्फलेस-नेस। आप अपने सामर्थ्य को पहचानकर आगे बढ़ें, पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ें और निःस्वार्थ भाव से आगे बढ़ें।उन्होने याद दिलाया कि धैर्य से हर काम में सफलता पाई जा सकती है।
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