नारायणपुर 05 मई।छत्तीसगढ़ के घुर नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के बच्चे किसी शहरी बच्चे से पीछे अब नहीं रहेंगे।वह भी शहरी बच्चों की तरह समर कैम्प में कई विधाएं सीख रहे है।
शिक्षा अधिकारी देवेस प्रसाद ने बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से विकासखण्ड मुख्यालय ओरछा में स्कूली बालक-बालिकाओं के लिए समर कैम्प (ग्रीष्मकालीन खेल प्रशिक्षण शिविर)आयोजित किया जा रहा है। लगभग डेढ़ माह तक चलने वाले इस समर कैम्प का समापन 16 जून को होगा।
उन्होने बताया कि समर कैम्प में पोर्टाकेबिन, कस्तूरबा गांधी स्कूल समेत अन्य स्कूलों और आश्रमों के लगभग 400 बच्चों को 10 विधाओं मेहंदी, रंगोली, नृत्य (डांस) , ब्यूटी पार्लर, ड्राइंग, कराटे, खेलकूद, गोदना आर्ट, टेराकोटा आदि का प्रशिक्षण अनुभवी प्रशिक्षकों द्वारा दिया जा रहा है।उन्होने कहा कि यहां के बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है। खेल के क्षेत्र में में बच्चों को बेहतर अवसर उपलब्ध कराने व उनकी प्रतिभा को निखारकर प्रतिभावान खिलाड़ी बनाने के उद्देश्य से समर कैम्प का आयोजन किया जा रहा है। यह बच्चे भी आम शहरी बच्चों से किसी मायने में पीछे नहीं रहेंगे। बच्चों को प्रशिक्षण के दौरान रोजमर्रा के भोजन से हट कर पोष्टिक आहार भी दिया जा रहा है। ताकि बच्चों को किसी प्रकार की ऊर्जा कमी महसूस न हो।
उल्लेखनीय है कि अबूझमाड़ छत्तीसगढ़ बस्तर अंचल के नारायणपुर जिले में स्थित है। इसका कुछ हिस्सा महाराष्ट्र तथा कुछ आंध्र प्रदेश में पड़ता है। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि अबूझ मतलब जिसकों बूझना संभव ना हो और माड़ यानि गहरी घाटियां और पहाड़। यह एक अत्यंत दुर्गम इलाका है।शासन-प्रशासन के पूरे जोर के बावजूद यहां पर कई इलाकों में कोई सड़क नहीं है।यहां करीब कुछ ऐसे गांव है जिसकी जगह बदलती रहती है।
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