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गीत-संगीत के बेताज बादशाह थे लक्ष्मण मस्तुरिया – रमन

स्वं लक्ष्मण मस्तुरिया

रायपुर, 03 नवम्बर।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने राज्य के लोकप्रिय कवि और प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गीतकार लक्ष्मण मस्तुरिया के निधन पर गहरा दुःख व्यक्त किया है।

डा.सिंह ने आज यहां जारी शोक संदेश में कहा कि स्व.श्री मस्तुरिया वास्तव में छत्तीसगढ़ के जन-जन के कवि और छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत के बेताज बादशाह थे, जो लगभग पांच दशकों तक अपने सुमधुर गीतों से और अपनी मधुर आवाज से छत्तीसगढ़ के गांव, गरीब और किसानों की भावनाओं को स्वर देते रहे और जनता के दिलों पर राज करते रहे। उनके गीतों में ग्रामीण जन-जीवन और छत्तीसगढ़ माटी की सौंधी महक थी। छत्तीसगढ़ का सहज-सरल लोक जीवन उनके गीतों में रचा-बसा था।

उऩ्होने कहा कि श्री मस्तुरिया ने छत्तीसगढ़ी कला-संस्कृति को अपनी कालजयी रचनाओं के माध्यम से देश और दुनिया में नई पहचान दिलाई। डॉ. सिंह ने उनके शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी गहरी संवेदना प्रकट की है और दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।

ज्ञातव्य है कि श्री लक्ष्मण मस्तुरिया का जन्म सात जून 1949 को बिलासपुर जिले के ग्राम मस्तुरी में हुआ था। उन्हें वर्ष 1970 के दशक में बघेरा (जिला-दुर्ग) के दाऊ रामचन्द्र देशमुख द्वारा स्थापित लोकप्रिय सांस्कृतिक संस्था ‘चंदैनी गोंदा’ के गीतकार के रूप में पहचान मिली। इस संस्था में उनके गीत ‘मोर संग चलव रे-मोर संग चलव जी’ काफी लोकप्रिय हुआ। आकाशवाणी के रायपुर केन्द्र के विभिन्न कार्यक्रमों में उनके गीतों का प्रसारण होता रहा है।