नई दिल्ली 14 दिसम्बर।उच्चतम न्यायालय ने मोदी सरकार को आज बड़ी राहत देने वाले अपने निर्णय में राफेल सौदो को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा कि राफेल की कीमतों के तुलनात्मक विवरण पर फैसला लेना अदालत का काम नही है।
मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय खण्डपीठ ने आज इस मामले में अपना निर्णय सुनाते हुए कहा कि राफेल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई अवसर नहीं है।लड़ाकू विमानों की जरूरत है और देश लड़ाकू विमानों के बगैर नहीं रह सकता है।राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर निर्णय लेना अदालत का काम नहीं है।
पीठ ने कहा कि हमें फ्रांस से 36 राफेल विमानों की खरीद की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता है।सितम्बर 16 में जब राफेल सौदे को अंतिम रूप दिया गया था, उस वक्त किसी ने खरीद पर सवाल नहीं उठाया था।न्यायालय ने माना कि भारतीय वायुसेना में राफेल की तरह के चौथी और पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को शामिल करने की जरूरत है।
न्यायालय ने कहा कि वह सरकार को 126 या 36 विमान खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।पीठ ने कहा कि राफेल सौदे पर सवाल उस वक्त उठे जब फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने बयान दिया, यह न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं हो सकता है।
पीठ ने कहा कि खरीदी, कीमत और ऑफसेट साझेदार के मामले में हस्तक्षेप के लिए उसके पास कोई ठोस साक्ष्य नहीं है।
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