
रायपुर 14 जुलाई।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की कल्पना केवल आधारभूत ढांचे से नहीं, बल्कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा और पर्यावरणीय संतुलन से ही साकार हो सकती है।
श्री साय ने जैव विविधता और आर्द्रभूमियों के संरक्षण को लेकर आज नवा रायपुर स्थित दण्डकारण्य अरण्य भवन में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए सभी जनप्रतिनिधियों और नागरिकों से ‘वेटलैण्ड मित्र‘ बनकर इस अभियान को जनांदोलन में बदलने का आह्वान किया।इस मौके पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्री अरुण साव एवं विजय शर्मा, कैबिनेट मंत्रीगण और विधायकगण उपस्थित रहे।
वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कहा कि जैव विविधता और वेटलैण्ड संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि भावी पीढ़ियों की सुरक्षा का विषय है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से जनजागरूकता बढ़ाने और सक्रिय भागीदारी निभाने की अपील की।
छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने 1992 के Earth Summit, जैव विविधता अधिनियम 2002, और जैव विविधता प्रबंधन समितियों की कार्यप्रणाली पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है जहाँ जैव विविधता समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि आर्द्रभूमियाँ पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण और जिला स्तरीय समितियों की कार्यप्रणाली की जानकारी दी, जो स्थानीय स्तर पर निगरानी और संरक्षण सुनिश्चित कर रही हैं।
कार्यक्रम के दौरान यह भी बताया गया कि गिधवा-परसदा पक्षी अभ्यारण्य को रामसर साइट घोषित किए जाने की प्रक्रिया जारी है। वहीं, बलौदाबाजार जिले का खोखरा ग्राम छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट बनने की दिशा में अग्रसर है।
कार्यशाला के अंत में सभी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से ‘वेटलैण्ड मित्र’ के रूप में जुड़ने और संरक्षण के प्रयासों में भाग लेने की अपील की गई। यह पहल राज्य में पर्यावरणीय चेतना को व्यापक जनआंदोलन का रूप देने में सहायक होगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) श्रीमती ऋचा शर्मा, वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, और जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले सहित कई वरिष्ठ अधिकारी एवं पर्यावरण विशेषज्ञ उपस्थित थे।