सुकमा में नक्सलियों ने पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया है कि पिछले एक साल के भीतर सुरक्षा बलों की कार्रवाई में उनके 357 साथी मारे गए हैं। नक्सलियों की केंद्रीय कमेटी द्वारा जारी किए गए प्रेस नोट में यह जानकारी दी गई है। इसके साथ ही उन्होंने 24 पन्नों की एक बुकलेट भी जारी की है, जो गोंडी और अंग्रेजी भाषा में है। इस बुकलेट के जरिए नक्सल संगठन ने मारे गए अपने सदस्यों को शहीद बताते हुए सुरक्षा बलों की कार्रवाई को आक्रामक बताया है।
जारी दस्तावेज़ों के अनुसार, मारे गए 357 नक्सलियों में 136 महिलाएं भी शामिल थीं, जो महिला दस्ता या अग्रिम मोर्चों पर सक्रिय थीं। इतना ही नहीं, मारे गए नक्सलियों में संगठन के शीर्ष स्तर के 4 सेंट्रल कमेटी मेंबर और 15 राज्य कमेटी सदस्य भी शामिल हैं। यह संगठन की रणनीतिक ताकत के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान माना जा रहा है। इससे न केवल उनकी नेतृत्व क्षमता प्रभावित हुई है, बल्कि संगठन के अंदर डर और हताशा का माहौल भी बताया जा रहा है।
सबसे ज्यादा क्षति नक्सलियों को दण्डकारण्य क्षेत्र में हुई है, जहां 281 नक्सली मारे गए। दण्डकारण्य वही इलाका है जो छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के सीमावर्ती जंगलों में फैला हुआ है और जिसे नक्सलियों का मजबूत गढ़ माना जाता रहा है। बस्तर संभाग के कई जिले, खासकर सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा, इस क्षेत्र का अहम हिस्सा हैं, जहां पिछले एक साल में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच कई बड़ी मुठभेड़ें हुईं।
मारे गए नक्सलियों की याद में संगठन ने 28 जुलाई से 3 अगस्त तक “शहीदी सप्ताह” मनाने का ऐलान किया है। हर साल की तरह इस बार भी शहीदी सप्ताह के दौरान नक्सली ग्रामीण क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार कर सकते हैं, बैनर-पोस्टर लगा सकते हैं, और सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की कोशिश कर सकते हैं। इस चेतावनी को देखते हुए पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने पूरे बस्तर क्षेत्र में सतर्कता बढ़ा दी है। खुफिया इनपुट पर नजर रखी जा रही है और संवेदनशील इलाकों में गश्त तेज कर दी गई है।
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India