
रायपुर, 20 अगस्त। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल विस्तार पर सवाल उठाते हुए भाजपा सरकार पर नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने मंत्रिमंडल में 14वां मंत्री जोड़कर संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन किया है।
श्री बघेल ने आज यहां प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि भारतीय संविधान के तहत राज्य सरकार अधिकतम विधानसभा के कुल सदस्यों के 15% तक ही मंत्री नियुक्त कर सकती है। उन्होंने याद दिलाया कि जब कांग्रेस की सरकार थी, तब उन्होंने खुद प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर एक अतिरिक्त मंत्री की मांग की थी, जो नामंजूर कर दी गई थी।
श्री बघेल ने पूछा “अगर भाजपा सरकार ने 14वां मंत्री बनाया है, तो क्या इसके लिए भारत सरकार से विधिवत अनुमति ली गई है? क्या इसके लिए कोई गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ?” —। उन्होंने कहा कि यदि अनुमति नहीं ली गई है तो यह परंपरा और संविधान दोनों के विरुद्ध है।
वरिष्ठ नेताओं की उपेक्षा का आरोप
श्री बघेल ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार में वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।“अजय चंद्राकर, राजेश मूणत, धरमलाल कौशिक, अमर अग्रवाल, धर्मजीत सिंह, विक्रम उसेंडी और लता उसेंडी जैसे अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर तीन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है,” उन्होंने कहा।उनका दावा है कि इस निर्णय से भाजपा के भीतर नाराजगी है और पार्टी वरिष्ठ नेताओं को महत्व नहीं दे रही।
‘दिल्ली से चल रही है सरकार’
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार अब राज्य से नहीं बल्कि दिल्ली से चलाई जा रही है। उन्होंने बृजमोहन अग्रवाल को विधानसभा से हटाकर लोकसभा भेजने को “वनवास” बताया और कहा कि यह राज्य के नेताओं के राजनीतिक भविष्य को संकट में डालने जैसा है।
तीन नए विधेयकों पर गंभीर सवाल
लोकसभा में पेश किए गए तीन विधेयकों जिनमें गंभीर आपराधिक मामलों में फंसे जनप्रतिनिधियों को मंत्रिपद से हटाने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है पर श्री बघेल ने कहा कि इससे विपक्ष की आवाज़ दबाई जा सकती है।
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