
रायपुर, 24 अगस्त। छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका ने सहकारिता के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास (R&D) को नई दिशा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
श्री डेका ने राजधानी में आयोजित दो दिवसीय सहकार राष्ट्रीय बुनकर अधिवेशन में कहा कि बुनकरों को बदलते समय के साथ तकनीकी नवाचारों को अपनाना चाहिए और बाज़ार की मांग के अनुसार उत्पादों के डिज़ाइन में निरंतर बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीकों का समावेश न केवल उत्पाद की गुणवत्ता को बढ़ाता है, बल्कि उसे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी सक्षम बनाता है।
अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 की घोषणा का उल्लेख करते हुए श्री डेका ने कहा कि इसका उद्देश्य केवल सहकारिता को प्रोत्साहित करना नहीं, बल्कि एक समृद्ध, न्यायसंगत और आत्मनिर्भर वैश्विक समाज की स्थापना करना है। उन्होंने कहा कि “सहकार से समृद्धि” का मंत्र अब एक जनआंदोलन का रूप ले रहा है, जिसे हर घर और हर व्यक्ति तक पहुँचाना होगा।
राज्यपाल ने छत्तीसगढ़ की सहकारी प्रणाली की सराहना करते हुए कहा कि राज्य में कई नवाचारों के जरिए देश को नया दृष्टिकोण दिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य में अब तक 2,058 पैक्स समितियों को एम-पैक्स के रूप में विकसित किया गया है, जिनमें कॉमन सर्विस सेंटर जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। साथ ही, 532 नई बहुउद्देशीय पैक्स समितियों के गठन की प्रक्रिया भी जारी है। मछली पालन, दुग्ध उत्पादन और लघु वनोपज के क्षेत्र में भी राज्य ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
हाथकरघा और बुनकरी को भारतीय संस्कृति का गौरव बताते हुए राज्यपाल ने बुनकरों से डिजिटल प्लेटफॉर्म और ई-कॉमर्स का उपयोग बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि उत्पादों की पहुँच और बिक्री बढ़ाने के लिए डिजिटल माध्यमों से जुड़ना समय की आवश्यकता है।
कार्यक्रम में सहकार भारती के पदाधिकारीगण और देशभर से आए बुनकर प्रतिनिधि उपस्थित थे।