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माओवादी आतंक से उभर रहा नया बस्तर- मोदी

नई दिल्ली/रायपुर 18 अक्टूबर।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा किकभी माओवादी आतंक का गढ़ कहा जाने वाला बस्तर आज नई पहचान गढ़ रहा है। हिंसा और भय से जूझता यह इलाका अब खेल और उत्सव का केंद्र बन चुका है। बस्तर ओलंपिक में लाखों युवा अपने हुनर और जोश का प्रदर्शन कर रहे हैं। माओवादी हिंसा से मुक्त इलाकों में इस बार दीपावली की रौनक भी कुछ खास होने वाली है।

    श्री मोदी ने कहा कि वे देश के सामने आज एक ऐसे विषय पर बात कर रहे हैं जो न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, बल्कि देश के युवाओं के भविष्य से भी संबंधित है। उन्होंने स्पष्ट किया कि “जिसे वर्षों से नक्सलवाद कहा जाता रहा, असल में वह माओवादी आतंकवाद है।”

     उन्होने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासनकाल में “अर्बन नक्सल” नामक एक पूरा तंत्र सक्रिय था, जो माओवादी घटनाओं पर पर्दा डालने और उनके पीड़ितों की आवाज दबाने का काम करता था। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हाल ही में माओवादी हिंसा के शिकार कई पीड़ित आए थे, जिनमें कई अपने अंग खो चुके थे, लेकिन उनकी पीड़ा देश तक नहीं पहुंचाई गई।

    श्री मोदी ने कहा कि “देश के कई राज्य माओवादी आतंक की चपेट में थे। संविधान देशभर में लागू था, लेकिन रेड कॉरिडोर में उसकी कोई मान्यता नहीं थी। शाम ढलते ही लोग घरों से बाहर निकलने से डरते थे। जो सुरक्षा देने वाले थे, उन्हें खुद सुरक्षा लेकर चलना पड़ता था।”

  उन्होंने बताया कि पिछले 50-55 वर्षों में माओवादी हिंसा के कारण हजारों लोग मारे गए, जिनमें अनेक सुरक्षाकर्मी और निर्दोष ग्रामीण शामिल हैं। माओवादी स्कूल, अस्पताल और विकास के हर प्रयास का विरोध करते थे। उन्होंने कहा कि इस आतंक का सबसे अधिक नुकसान आदिवासी, दलित और गरीब वर्गों को उठाना पड़ा।

  प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 के बाद केंद्र सरकार ने संवेदनशीलता के साथ भटके हुए युवाओं को मुख्यधारा में लाने का प्रयास किया।उन्होने कहा कि “देश के 125 से अधिक जिले माओवादी आतंक से प्रभावित थे, लेकिन अब यह संख्या घटकर सिर्फ 11 जिलों तक रह गई है, जिनमें से केवल तीन ही गंभीर रूप से प्रभावित हैं।

  प्रधानमंत्री ने यह भी जानकारी दी कि पिछले 75 घंटों में ही 303 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है, जिनमें से कई पर एक करोड़ रुपये तक के इनाम घोषित थे।
उन्होंने कहा, “जो कभी संविधान को नकारते थे, आज वही उसे गले लगा रहे हैं। जब सरकार संविधान के प्रति समर्पित होती है, तो भटके हुए लोग भी वापस लौट आते हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि कभी माओवादी घटनाओं से सुर्खियों में रहने वाला बस्तर आज “बस्तर ओलंपिक” जैसी खेल प्रतियोगिताओं के लिए जाना जा रहा है।“आज बस्तर के युवा खेल के मैदान में अपनी ताकत दिखा रहे हैं। इस बार माओवादी-मुक्त क्षेत्रों में दीपावली की रौनक अलग होगी। दशकों बाद इन इलाकों में खुशियों के दीये जलेंगे,” ।

 प्रधानमंत्री ने विश्वास जताया कि देश के सामूहिक प्रयासों से माओवादी आतंक पूरी तरह समाप्त होगा और विकास की नई रोशनी हर गांव तक पहुंचेगी।