
रायपुर, 19 नवंबर। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य भर में भूमि और संपत्ति की गाइडलाइन दरों का सात वर्षों बाद पुनरीक्षण करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। यह कदम जनता के हित, पारदर्शिता और उचित बाजार मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।
गाइडलाइन नियम 2000 के तहत दरों का प्रतिवर्ष पुनरीक्षण आवश्यक है, परंतु वर्ष 2017-18 से अब तक किसी प्रकार का संशोधन नहीं हुआ था। इस कारण वास्तविक बाजार मूल्य और गाइडलाइन दरों में बड़ी खाई बन गई थी, जिससे किसानों, भूमिस्वामियों और संपत्ति धारकों को नुकसान उठाना पड़ रहा था।
पुरानी गाइडलाइन दरों में नगरीय क्षेत्रों में भारी असमानता पाई जा रही थी—एक ही सड़क, गली या वार्ड में स्थित संपत्तियों की कीमतें मनमानी और अनुपातहीन थीं। इससे नागरिकों के लिए मूल्यांकन कराना मुश्किल हो गया था।
वाणिज्यिक कर (पंजीयन) मंत्री ओ. पी. चौधरी के निर्देश पर नए पुनरीक्षण में नगरीय इलाकों की गाइडलाइन दरें रोड-वाइज तैयार की गईं। इससे एक ही सड़क पर स्थित क्षेत्रों की दरें अब समान और पारदर्शी होंगी।
ग्रामीण इलाकों में पहली बार सभी गाँवों की दरों को नक्शे में दर्ज कर मार्ग-आधारित और परिस्थितिजन्य समानता के आधार पर तर्कसंगत रूप से तय किया गया है।किसानों के हित में ग्रामीण दरों में 50% से लेकर 300% तक वृद्धि की गई है।शहरी इलाकों में करीब 20% की संतुलित वृद्धि की गई है, जिससे मूल्य-विसंगतियाँ खत्म होंगी और बाजार दरों के अनुरूप गाइडलाइन तैयार हो सकेगी।
राज्य सरकार ने बताया कि वर्तमान दरों की वैज्ञानिक मैपिंग कर रैशनलाइज़्ड बेस रेट तैयार किए गए, जिनके आधार पर नई गाइडलाइन दरें प्रस्तावित और लागू की गई हैं। प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए अत्यधिक कंडिकाओं को भी कम किया गया है।
पंजीयन मंत्री श्री चौधरी ने कहा कि “गाइडलाइन दरों का यह संशोधन पूरी पारदर्शिता और जनता के हित में किया गया है। सात वर्षों से दरों में संशोधन न होने से वास्तविक बाजार मूल्य से भारी असंतुलन उत्पन्न हो गया था। नई दरें वैज्ञानिक मैपिंग और रोड-वाइज मूल्यांकन पर आधारित हैं, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों के नागरिकों को लाभ मिलेगा।”
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