नई दिल्ली 05 अगस्त।मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने एवं राज्य के पुनर्गठन का विधेयक विपक्ष के शोर-शराबे के बीच राज्यसभा में पेश कर दिया।
गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष के शोर-शराबे के बीच अनुच्छेद 370 हटाने एवं जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया।इस विधेयक में जम्मू कश्मीर को विधानसभा वाला केन्द्रशासित प्रदेश और लद्दाख को बिना विधानसभा वाला केन्द्रशासित प्रदेश बनाने का प्रावधान है। राज्य में सामान्य वर्ग के आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों के लिए 10 प्रतिशत के आरक्षण के लिए जम्मू कश्मीर आरक्षण द्वितीय संशोधन विधेयक भी सदन में पेश किया गया।
इन विधेयकों और प्रस्तावों पर चर्चा चल रही है लेकिन कांग्रेस, वामपंथी, तृणमूल कांग्रेस, और अन्य दलों के सदस्य सदन के बीचोबीच बैठकर नारेबाजी कर रहे हैं।
गृहमंत्री श्री शाह ने अनुच्छेद 370 हटाये जाने को उचित ठहराया है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है, बल्कि राजनेता वहां भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे हैं।उन्होने कहा कि अनुच्छेद 370 से जम्मू कश्मीर को भारत में शामिल करने में कोई मदद नहीं मिली।उन्होंने यह भी कहा कि अनुच्छेद 370 आने से बहुत पहले ही जम्मू कश्मीर भारत का हिस्सा था। श्री शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 लाने के पीछे यही विचार था कि इसे बाद में हटा लिया जाएगा, लेकिन किसी राजनीतिक दल ने ऐसा करने की इच्छा शक्ति नहीं दिखाई।
प्रस्ताव का विरोध करते हुए सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस हर कीमत पर संविधान की रक्षा करेगी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने आज संविधान की अवमानना की है।बहुजन समाज पार्टी नेता सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा कि उनकी पार्टी अनुच्छेद 370 हटाने के सरकार के विधेयक का समर्थन करती है। बीजू जनता दल के प्रसन्ना आचार्य ने भी इसका समर्थन किया।
भाजपा के भूपेन्द्र यादव ने जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने राज्य के विकास के लिए कुछ नहीं किया। ऑल इंडिया अन्ना डीएमके पार्टी के नेता नवनीत कृष्णन ने प्रस्ताव और विधेयकों का स्वागत किया। शिवसेना सांसद संजय राउत ने भी इसका समर्थन किया।दूसरी ओर सरकार के फैसले का विरोध करते हुए एनडीए के सहयोगी दल जेडीयू ने सदन से वॉकआउट किया।