नई दिल्ली 10 जनवरी।उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर प्रशासन से प्रदेश में लगे प्रतिबंध के सभी आदेशों की एक सप्ताह के अंदर समीक्षा करने का आदेश देते हुए कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत कुछ प्रतिबंधों को छोड़कर इंटरनेट सेवा मूल अधिकार है।
न्यायमूर्ति एन.वी. रमणा की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने प्रशासन को अस्पतालों और शिक्षण केन्द्रों जैसी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने वाले सभी संस्थानों में इंटरनेट सेवाएं बहाल करने का भी निर्देश दिया।पीठ ने कहा कि प्रेस की आजादी मूल्यवान और पवित्र अधिकार है। पीठ में न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और आर.सुभाष रेड्डी शामिल हैं।
पीठ ने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति को दबाने के लिए निषेधाज्ञा का अनिश्चितकाल तक इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।पीठ ने कहा कि निषेधाज्ञां आदेश जारी करते समय मजिस्ट्रेटों को अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। पीठ ने उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान ये निर्देश दिए, जिनमें 05 अगस्त को अनुच्छेद 370 के प्रावधान निरस्त करने के केन्द्र के कदम के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू प्रतिबंधों को चुनौती दी गई है।
ये याचिकाएं उन याचिकाओं से अलग हैं, जिनमें अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है और जिनकी सुनवाई पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ कर रही है।
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