बिलासपुर 07 मार्च।उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा ने त्वरित न्याय दिलाने में आपसी समझौता को अहम बताते हुए आज कहा कि न्यायालयीन प्रकरणों के निपटारे के लिए न्यायाधीशों को बेहतर तैयारी करनी चाहिए, जिससे वे प्रकरणों पर अपने निर्णय शीघ्रता से दे सके।
श्री सिन्हा ने उच्च न्यायालय के ऑडिटोरियम में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार न्यायालयों की अधोसंरचना विकास के लिए कदम उठा रही है। छत्तीसगढ़ पहला प्रदेश है, जहां कमर्शियल कोर्ट स्थापित किया गया है, जहां ऑनलाइन फाइलिंग की सुविधा दी जा रही है। न्यायालयीन प्रकरणों को तेजी से निपटारे के लिए न्यायाधीशों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।उन्होंने कहा कि न्यायालय में कोई मामला लंबित होता है तो इसके प्रक्रियागत व्यावहारिक, सामाजिक, प्रोफेशनल, लीगल सहित कई पहलू होते हैं।
उन्होने कहा कि संविधान में हर किसी के अधिकार की सुरक्षा है। न्यायालयों को न्याय करते समय यह भी देखना आवश्यक होता है कि न्यायालयीन प्रक्रिया का किसी प्रकार से उल्लंघन तो नहीं हो रहा है।इसके अलावा न्यायालय में कई छोटे-छोटे मामले भी होते हैं, जिन्हें आपसी समझौते से निपटाया जा सकता हैं। यह ऐसे मामले भी होते हैं, जिसके कारण लंबित मामले की संख्या बढ़ जाती है।श्री सिन्हा ने कहा कि न्यायालयों में लंबित मामले के संबंध में यह भी विचारणीय है कि क्या न्यायालयों की संख्या कम है। न्यायाधीशों एवं वकीलों के प्रशिक्षण की जरूरत है, इन सभी मुद्दों पर विचार करना होगा।
कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पी.आर. रामचंद्र मेनन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री प्रशांत मिश्रा, न्यायाधीश श्री मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव सहित सभी न्यायाधीशगण, अतिरिक्त महाधिवक्ता श्री विवेक रंजन तिवारी, श्री आलोक बक्शी, श्रीमति फौजिया मिर्जा, श्री अमृतो दास, सभी उप महाधिवक्तागण, शासकीय अधिवक्तागण, पैनल लायर्स, स्टेट बार काउन्सिल एवं हाईकोर्ट बार काउन्सिल के पदाधिकारी, हाईकोर्ट रजिस्ट्री अधिकारी आदि बड़ी संख्या में उपस्थित थे।