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जिले में खून की कमी एनीमिया की समस्या से जूझ रही करीब 10 हजार महिलाएं

जिले की करीब 10 हजार महिलाएं खून की कमी एनीमिया की समस्या से जूझ रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 12 हजार 346 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया है जिसमें से 9 हजार 597 महिलाओं के शरीर में 11 ग्राम से कम और 376 महिलाओं में 7 ग्राम से कम खून की कमी पाई गई है। शासन की योजनाओं और कलेक्टर के निर्देश के बाद भी एनीमिया पीड़ितों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। शासन द्वारा स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से गर्भवती महिलाओं के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। गांव गांव में मितानिनों के माध्यम से महिलाओं को स्वास्थ्य सुविधा देने की योजना है वहीं आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। महिलाओं में आयरन की कमी न हो इसके लिए उन्हें गर्म भोजन के साथ ही पौष्टिक आहार दिया जाना है। मगर दोनों विभाग मिलकर शासन की योजनाओं को पलीता लगा रहे हैं। जिले में कुपोषण और एनीमिया से बचाव के लिए मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती महिलाओं और कुपोषित बच्चों को गर्म भोजन के साथ ही पौष्टिक आहार देने का दावा किया जा रहा है। जिले में कुपोषण और एनीमिया दूर करने कलेक्टर लगातार निर्देश दे रहे हैं मगर इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा एनीमिया को दूर करने के लिए गर्भवती महिलाओं के इलाज करने के साथ ही आयरन, विटामिन की गोलियां निश्शुल्क दी जा रही है। मगर इसके बाद भी एनीमिया में कमी नहीं आ रही है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 12 हजार 346 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया है जिसमें से 9 हजार 597 महिलाओं के शरीर में 11 ग्राम से कम और 376 महिलाओं में 7 ग्राम से कम खून की कमी दर्ज की गई है। जांजगीर में पंजीयन कम पीड़ित अधिक स्वास्थ्य विभाग द्वारा जांजगीर परियोजना अंतर्गत 719 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन किया गया है। मगर रिकार्ड में 1871 महिलाओं में 11 ग्राम से कम और 140 में 7 ग्राम से कम खून बताया गया है। जबकि 191 गर्भवती महिलाओं का उपचार करने की जानकारी दी गई है। इसी तरह बलौदा ब्लाक में 1228 का पंजीयन किया गया है जिसमें से 1130 में 11 ग्राम से कम और 20 गर्भवती महिलाओं में 7 ग्राम से कम खून है। वहीं सबसे कम डभरा ब्लाक में 962 महिलाओं का पंजीयन किया गया है जिसमें से 682 में 11 ग्राम से कम खून की शिकायत है। एनीमिया व इसके लक्षण शरीर में आयरन , विटामिन बी आदि की कमी के कारण एनीमिया की बीमारी होती है। शरीर में लाल रक्त कोशिकाएं धीरे धीरे खत्म होने लगती है और जरूरत के अनुसार पर्याप्त डाइट नहीं मिलती जिससे खून की कमी होने लगती है। एनीमिया से अन्य बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। बीमारियों के लक्ष्णों में थकान, त्वचा का पीलापन, सांस पᆬूलना, सिर घूमना, दिल की तेज धड़कन आदि प्रमुख है। कितने बालक बालिकाएं पीड़ित रिकार्ड नहीं एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी को लेकर स्वास्थ्य और महिला बाल विकास विभाग कितने लापरवाह हैं कि उनके पास जिले के कितने बालक बालिकाएं, युवक – युवतियां पीड़ित हैं इसका रिकार्ड ही नहीं है। इस संबंध में जब स्वास्थ्य विभाग की डीपीएम विभा टोप्पो से पूछा गया तो उन्होंने केवल गर्भवती महिलाओं की ही पंजीयन करने की बात कही। इसी तरह महिला बाल विकास विभाग के लिपिक जोगीराम जायसवाल जो इस खंड का प्रभार देखते हैं उनसे पूछा गया तो उन्होंने भी केवल आंगनबाड़ी केंद्रों में आने वाली महिलाओं का ही रिकार्ड होने की बात कही। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिन विभागों पर एनीमिया और कुपोषण दूर करने की जिम्मेदारी है वे कितने गंभीर हैं। राष्ट्रीय सुपोषण माह कागजों में बच्चों के साथ गर्भवती व शिशुवती महिलाओं को सुपोषित करने राष्ट्रीय सुपोषण माह एक से 30 सितंबर तक मनाया जा रहा है। मगर यह आयोजन महज औपचारिक है। आंगनबाड़ी केंद्र या गांवों में एक दो जगह छोड़कर कहीं भी इस आयोजन की गंभीरता नहीं दिख रही है। महिला बाल विकास विभाग के अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है।