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पाक के पूर्व PM इमरान खान ने अदालत में एफआईए के कॉलअप नोटिस को दी चुनौती..

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिकी सिफर ऑडियो लीक मामले में एफआईए की जांच के खिलाफ लाहौर हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इमरान ने अदालत में एफआईए के कॉलअप नोटिस को चुनौती दी है. पीटीआई चेयरमैन की याचिका पर हाई कोर्ट आज सुनवाई करेगा. 

अमेरिकी सिफर से संबंधित ऑडियो लीक की जांच के सिलसिले में एफआईए ने इमरान खान को 6 दिसंबर यानी आज तलब किया था. बीते सितंबर महीने में एक ऑडियो क्लिप सामने आई थी, जिसमें उनके प्रमुख सचिव आजम खान और पूर्व मंत्री असद उमर की बातचीत सामने आई थी.   

ऑडियो क्लिप में इमरान इसकी प्लानिंग कर रहे हैं कि विदेशी साजिश के मुद्दे को आगे कैसे बढ़ाना है. ऑडियो क्लिप में इमरान खान ने कथित तौर पर अपने तत्कालीन प्रधान सचिव आजम खान को अमेरिका के एक संदेश (Cypher) पर खेलने की बात कही. 

ऑडियो में इमरान खान बात कर रहे हैं कि सत्ता जाने के लिए विदेशी हाथ को कैसे जिम्मेदार ठहराना है. इमरान खान सत्ता में रहने के दौरान आरोप लगाते रहे हैं कि अमेरिका उनकी सरकार को हटाने की कोशिश कर रहा है. इमरान खान लीक ऑडियो में कह रहे हैं कि हमें लोगों को बताना होगा कि उन्हें सत्ता से हटाने की तारीख पहले से तय थी. उन्होंने कहा कि किसी भी देश का नाम नहीं लेना है. 

ऑडियो लीक की जांच के लिए कमेटी का गठन

शहबाज सरकार ने ऑडियो लीक की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया. बाद में कैबिनेट ने इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को भी मंजूरी दी थी. एफआईए ने पीटीआई के उपाध्यक्ष और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और असद उमर को भी तलब किया था. याचिका में खान ने कहा कि एफआईए ने एक विदेशी देश से प्राप्त राजनयिक सिफर से संबंधित कथित ऑडियो लीक की जांच शुरू की है. 

इमरान ने कहा-FIA जांच राजनीति से प्रेरित..

इमरान ने अपनी याचिका में कहा कि संघीय सरकार द्वारा जारी किए गए ऑडियो ने न केवल प्रधानमंत्री के रूप में उच्च कार्यालय की सुरक्षा को खतरे में डाला है, बल्कि याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन किया है. उन्होंने कहा कि ऑडियो लीक मामले को याचिकाकर्ता ने पहले ही उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी. खान ने कहा कि एफआईए की जांच एक “राजनीतिक रूप से प्रेरित” कदम है जिसका एकमात्र उद्देश्य मुझे परेशान करना है. इमरान ने अदालत से अपील की है कि बिना किसी अधिकार क्षेत्र के जारी किए गए कॉल-अप नोटिस को खारिज कर दिया जाए.