रायपुर 19 दिसम्बर।छत्तीसगढ़ सरकार ने जाति समूहों में शामिल जातियों के नामों में उच्चारण विभेद को मान्य कर दिया है,जिससे इन वर्गों को काफी अर्से से जाति प्रमाण पत्र हासिल करने में आ रही दिक्कते दूर हो जायेगी।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रि परिषद की बैठक में राज्य की अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के लाखों लोगों के हित में एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लिया गया।विधानसभा के मुख्य समिति कक्ष में आयोजित बैठक के बाद मुख्यमंत्री डॉ.सिंह ने अपरान्ह सदन में इस फैसले की जानकारी दी।
उन्होंने सदस्यों को बताया कि मंत्रि परिषद ने आज की बैठक में छत्तीसगढ़ के 27 अधिसूचित जातिसमूहों के 85 उच्चारण विभेदों (फोनेटिक वेल्यूज) को मान्य करने का निर्णय लिया। इससे अब इन जाति समूहों के राजस्व अभिलेखों और अन्य अभिलेखों में दर्ज उनके जातियों के नामों में विभिन्न स्थानीय बोलियों के उच्चारण विभेदों के आधार पर जाति प्रमाण पत्र करना अधिक आसान हो जाएगा।इनमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के 22 समूहों के 66 उच्चारण विभेद और अनुसूचित जाति के पांच समूहों के 19उच्चारण विभेद शामिल हैं।
मुख्यमंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजाति के अंतर्गत 42 जाति समूह और अनुसूचित जाति के अंतर्गत 44 जाति समूह अधिसूचित किए गए हैं। यह अधिसूचना भारत सरकार के राजपत्र में हिन्दी और अंग्रेजी में प्रकाशित है। इनमें से कई जातियों के नामों में उच्चारण भेद पाएजाते हैं, जो इनके ही स्थानजनित उच्चारणगत विभेद हैं।
मूल रूप से यह अधिसूचना अंग्रेजी भाषा और लिपि में जारी हुई है तथा इसका हिन्दी अनुवाद सिर्फ हिन्दी अधिसूचना के रूप में जारी हुआ है। अतः उच्चारण भेद के कारण मूल अनुसूचित जनजाति और मूल अनुसूचित जाति के लोगों को जाति प्रमाणपत्र उनके जनजाति अथवा अनुसूचित जाति का होने के बाद भी जारी नहीं हो पा रहा था।
डॉ.सिंह ने बताया कि इन कठिनाईयों को देखते हुए राज्य सरकार ने भाषविदों की चार सदस्यीय समिति का गठन किया।समिति को राज्य की अनुसूचित जनजातियों और अनुसूचित जातियों के अंग्रेजी लिपि के शब्दों के स्थानीय भाषा में ध्वन्यात्मक मानक शब्द अंकित करने के बारे में विचार करने और अनुशंसा देने की जिम्मेदारी दी गई थी।समिति ने इस महीने की 14 तारीख को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट दी है।
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