कोहरा व मरम्मत कार्य के चलते बुधवार को बिलासपुर पहुंचने वाली ट्रेनें दो से छह घंटे विलंब रही। ट्रेनों की इस लेटलतीफी की वजह से यात्री परेशान हो गए। मौसम को देखते हुए अब यह माना जा रहा है कि कोहरे के कारण अभी लगातार ट्रेनें प्रभावित रहेंगी।

ट्रेनों की लेटलतीफी बिलासपुर रेलवे स्टेशन में तीन से चार महीने से इसी तरह है। पर अब मरम्मत व कोहरे के कारण ट्रेनों का परिचालन प्रभावित होने लगा है। बुधवार को हावड़ा से चलकर पुणे जाने वाली आजाद हिंद एक्सप्रेस चार घंटे देरी से बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंची। इस ट्रेन का बिलासपुर पहुंचने का समय सुबह नौ बजे है। इसी तरह योग नगरी ऋषिकेश से पुरी जाने वाली उत्कल एक्सप्रेस तीन घंटे 45 मिनट, इतवारी से बिलासपुर आने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस दो घंटे और इतवारी से बिलासपुर आने वाली शिवनाथ एक्सप्रेस छह घंटे विलंब से पहुंची।
इसी तरह रायगढ़ से निजामुद्दीन जाने वाली गोंडवाना एक्सप्रेस छह घंटे विलंब से रवाना हुई। इस ट्रेन को रीशेड्यूल किया गया। इसी तरह मुंबई से हावड़ा जाने वाली दूरंतो एक्सप्रेस दो घंटे और छपरा- दुर्ग सारनाथ एक्सप्रेस तीन घंटे 30 मिनट की देरी से बिलासपुर रेलवे स्टेशन पहुंची।भोपाल /दुर्ग अमरकंटक एक्सप्रेस और पुणे – हावड़ा आजाद हिंद एक्सप्रेस तीन तीन घंटे 30 मिनट देरी से बिलासपुर रेलवे स्टेशन में पहुंचने की उम्मीद है। यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। जरूरी काम की वजह से जाना था। ऐसे यात्रियों ने इंक्वायरी और स्टेशन मास्टर दोनों को नाराजगी जाहिर की।
हालांकि स्टेशन मास्टर या पूछताछ केंद्र में बैठे कर्मचारियों का एक ही जवाब था कि या लेटलतीफी प्रारंभिक स्टेशन से ही हुई है इसकी वजह कोहरा व मरम्मत दोनों हो सकती है। मालूम हो कि जो ट्रेन है बुधवार को विलंब पहुंची है वह वापसी में भी प्रारंभिक स्टेशन से देरी से ही रवाना होगी। समय पर ट्रेन नहीं पहुंचने के कारण उस ट्रेन की रैक की सफाई व मरम्मत में समय लगता है। कोचिंग डिपो में कम से कम पांच से छह घंटा घंटे के बाद मरम्मत का कार्य पूरा होता है। इसके बाद ही ट्रेन परिचालन की स्थिति में आती है । लिहाजा यात्रियों को फिलहाल ट्रेनों की लेटलतीफी की समस्या से छुटकारा नहीं मिलने वाला है उन्हें अभी इसका सामना करना पड़ेगा।
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