हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत और रामायण के कुछ ऐसे पात्र हैं जो आज भी मौजूद हैं। कुछ को अपने अच्छे कर्मों के कारण अमर होने का वरदान मिला है तो वहीं कुछ पात्र अपने कर्मों के कारण ही अमर होने का श्राप झेल रहे हैं। आइए जानते हैं रामायण और महाभारत के उन पात्रों के विषय में।
रामायण काल से लेकर महाभारत काल तक कुछ ऐसे प्रमुख पात्र हैं, जिन्हें चिरंजीवी की श्रेणी में रखा जाता है अर्थात वह अमर हैं। माना जाता है कि वह आज भी पृथ्वी लोक पर ही मौजूद हैं। आइए जानते हैं कि किसे आशीर्वाद और किसे श्राप के रूप में मिली अमरता।
हनुमान जी
हनुमान जी रामायण से सबसे प्रमुख पात्रों में से एक हैं। उन्हें प्रभु श्री राम के प्रति अपनी अटूट भक्ति और निष्ठा के लिए जाना जाता है। जब हनुमान, राम जी का संदेश लेकर अशोक वाटिका में माता सीता के पास पहुंचे तो माता सीता ने प्रसन्न होकर उन्हें अमरता का आशीर्वाद दिया था। जब देवता स्वर्ग वापस लौट रहे थे, तो श्री राम ने हनुमान जी से कहा कि वह पृथ्वी पर ही रहें और यह सुनिश्चित करें कि पृथ्वी पर सब ठीक चल रहा है।
वेदव्यास
महाभारत जैसे कई ग्रंथों के रचयिता वेद व्यास भी अमर पात्रों में से एक हैं। वह सत्यवती और ऋषि पराशर के पुत्र हैं। महाभारत के साथ-साथ उन्होंने चार वेद – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद वेद की भी रचना की है। माना जाता है कि वेद-व्यास को अमरता का वरदान इसलिए मिला था क्योंकि उन्होंने कलियुग में वह सही आचरण और व्यवहार का ज्ञान लोगों के बीच फैलाना चाहते थे।
अश्वत्थामा
द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा जो महाभारत का एक महत्वपूर्ण पात्र रहे हैं, उन्हें अमरता वरदान के रूप में नहीं बल्कि एक श्राप के रूप में मिली थी। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों की हत्या कर दी थी, जिस कारण उन्हें भगवान कृष्ण के श्राप का सामना करना पड़ा। भगवान श्री कृष्ण ने उनके माथे पर लगी मणि ले ली और यह श्राप दिया कि दुनिया के अंत तक तुम इसी घाव के साथ पृथ्वी पर भटकते रहोगे।
परशुराम
भगवान परशुराम को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे भगवान शिव के अनंत भक्त थे। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ही परशुराम को अमरत्व का आशीर्वाद दिया था। परशुराम के बारे कहा जाता है कि उन्होंने 21 बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।
विभीषण
रामायण के पात्र विभीषण भी रामायण के एक पात्र हैं, जो श्री राम के भक्त हैं। रावण का भाई होते हुए भी उन्होंने राम के प्रति अपनी भक्ति नहीं छोड़ी। उनकी इसी भक्ति के चलते उन्हें भगवान राम से अमरता का आशीर्वाद मिला था। साथ ही भगवान राम ने रावण पर विजय पाने के बाद सोने की लंका भी विभीषण को ही सौंप दी थी।
 CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
CG News | Chhattisgarh News Hindi News Updates from Chattisgarh for India
				 
			 
						
					 
						
					