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छत्तीसगढ़: पहली ड्रोन दीदी के रूप में चित्ररेखा साहू का चयन, सीएम साय ने सौंपी चाबी

बालोद: पहली ड्रोन दीदी के रूप में चित्ररेखा साहू का चयन हुआ है वो इस अभियान से जुड़कर काफी खुश हैं और उन्होंने बताया कि लगातार यहां ड्रोन को लेकर ऑर्डर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने चित्ररेखा साहू को नमो ड्रोन की चाबी भी सौंप दी।

देश में महिलाओं को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए मोदी सरकार ने ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना की शुरुआत की है। इस योजना के तहत, महिलाओं को ड्रोन उड़ाने, डेटा विश्लेषण और ड्रोन के रखरखाव से संबंधित ट्रेनिंग दी जाएगी। बालोद जिले से पहली ड्रोन दीदी के रूप में चित्ररेखा साहू का चयन हुआ है वो इस अभियान से जुड़कर काफी खुश हैं और उन्होंने बताया कि लगातार यहां ड्रोन को लेकर ऑर्डर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने चित्ररेखा साहू को नमो ड्रोन की चाबी भी सौंप दी।

आज कल कृषि में लागत काफी बढ़ गया है ऐसे में मजदूर मिलना भी काफी मुश्किल रहता है। ऐसे में ड्रोन की सहायता से दवा का छिड़काव करना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। ऐसे में यहां पर चित्ररेखा साहू को लगातार बालोद जिले में काम मिलने लगा है औसतन दवा छिड़काव के लिए तीन लोगों को जरूरत होती है पर ड्रोन की सहायता से केवल एक व्यक्ति ड्रोन संचालित कर सकता है।

नमो ड्रोन स्कीम से क्या होगा फायदा?
ड्रोन दीदी स्कीम के कई फायदे होंगे। इसके जरिये महिलाओं को सशक्त बनाना पहली प्राथमिकता है। यह स्कीम उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाएगी। इससे कृषि क्षेत्र में उत्पादकता और दक्षता में बढ़ोतरी होने के आसार हैं। यह स्कीम कृषि में लगने वाली लागत में कमी ला सकती है। इससे रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। नमो ड्रोन दीदी योजना भारत सरकार की महत्वाकांक्षी पहल है।

10 लीटर की क्षमता
ड्रोन दीदी ने बताया कि इस ड्रोन में दवा छिड़काव के लिए 10 लीटर की क्षमता है और 10 लीटर का दवा एक एकड़ खेत के लिए पर्याप्त होता है इससे कृषि कार्यों में काफी तेजी देखने को मिलेगी, साथ ही महिलाओं को इस क्षेत्र में अग्रसर होकर काम करना चाहिए अभी तो सरकार चाहती है कि और भी ढूंढ दे दिया ब्लॉक से लेकर जिला और जिले से लेकर पूरे प्रदेश में काम करें महिलाओं की भागीदारी क्षेत्र में सुनिश्चित हो यही सरकार का प्रयास है मैं इस योजना से जुड़ी हूं मुझे काम मिलने लगा है और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा है।

काम सीखने हुई दिक्कत
चित्ररेखा साहू ने बताया कि ड्रोनेस सीखने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि जो कक्षाएं लगती थी ग्वालियर में मुझे प्रशिक्षण दिया गया परंतु वहां अंग्रेजी कक्षा के चलते मुझे काफी दिक्कतें होती थी और सब पढ़े-लिखे लोग थे और मैं एक कम पढ़ी-लिखी सामान्य परिवार की महिला थी परंतु मैंने हिम्मत नहीं हारी और धीरे-धीरे इसे सीखने की कोशिश करती रही और अब मैं पूरी तरह पारंगत हो चुकी हूं।